कश्मीरी पंडितों के साथ अत्याचार को 30 साल हुए पूरे, घर वापसी के संकल्प को मिली मजबूती

कश्मीर से सामूहिक पलायन के बाद इस समुदाय के लोगों ने इसे याद करते हुए सोशल मीडिया पर खुद का वीडियो पोस्ट किया है. घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन को 30 साल बीत चुके है.फिल्म शिकारा के डायलॉग 'हम आएंगे अपने वतन' बोल रहे हैं. इस डायलॉग के माध्यम से उन्होंने अपनी मातृभूमि लौटने की उम्मीद जताई है. ट्विटर पर हम वापस आएंगे ट्रेंड कर रहा है.   

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 19 जनवरी, 1990 को लाखों कश्मीरी पंडित घाटी में आतंकवादियों द्वारा किए गए जनसंहार के बाद अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो गए. थिएटर कलाकार चंदन साधु ने अभियान में भाग लिया और कहा कि कश्मीरी पंडितों के जल्द ही घाटी लौटने की उम्मीद है. 

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इस मामले को लेकर सुप्रसिद्ध राजनीतिक टिप्पणीकार सुनंदा वशिष्ठ ने खुद की बचपन एक तस्वीर ट्वीट की और कहा कि घर वापस जाने का संकल्प मजबूत हुआ है. उन्होंने ट्वीट करके कहा,' मेरे पास अपने बचपन की कई तस्वीरें नहीं हैं. जीवन और फैमली एल्बमों के बीच चयन करने में कोई विकल्प नहीं है. जान बचाने के दौरान फैमली एल्बम पीछे छूट गए. 30 साल हो गए. घर वापस जाने का संकल्प केवल मजबूत हुआ है.

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