मध्यप्रदेश के वर्तमान सीएम कमलनाथ ने स्पष्ट किया है कि मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) लागू नहीं किया जाएगा. एनपीआर की जिस अधिसूचना की बात की जा रही है, वह नौ दिसंबर 2019 की है. इससे पहले भोपाल के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने प्रेस कांफ्रेंस कर धमकी दी थी कि यदि प्रदेश में एनपीआर लागू होगा तो फिर ऐसी पार्टी में रहने का क्या फायदा. गोवा सरकार ने इस वजह से धारा 144 को लगाने का आदेश लिया वापस इस मामले को लेकर मसूद के बयान के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि इस अधिसूचना के बाद केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) जारी किया है अर्थात जो एनपीआर अधिसूचित किया गया है, वह नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत नहीं किया गया है.नागरिकता संशोधन अधिनियम 1955 की नियमावली 2003 के नियम तीन के तहत जारी किया गया है. यूपी : कैबिनेट बैठक में एक दर्जन प्रस्तावों को मिल सकती है मंजूरी, इस मसौदे पर होगी सबकी नजर आपकी जानकारी के लिए बता दे कि विधायक मसूद ने सरकार को धमकी देते हुए कहा कि यदि मुख्यमंत्री का रख सकारात्मक नहीं रहा तो ऐसी पार्टी में रहने का क्या मतलब है? उन्होंने प्रदेश सरकार से इस राजपत्र को तत्काल खारिज करने की मांग की. मसूद ने कहा कि प्रदेश में एनपीआर का राजपत्र गलत तरीके से जारी कर दिया गया है. सरकार ने सही तरीके से अपने प्रदेश की जनता की जिम्मेदारी को नहीं समझा. एनपीआर एनआरसी का ही एक छोटा हिस्सा है.उधर, प्रदेश के विधि मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि मध्य प्रदेश ने एनपीआर न तो लागू किया है और न लागू किया जाएगा. जो राजपत्र बताया जा रहा है वो 9 दिसंबर का है. प्रदेश कांग्रेस ने भी बयान जारी कर एनपीआर लागू नहीं करने की बात कही. असम के मूल निवासियों को परिभाषित करने के लिए सरकार ने किया ये काम दिल्ली हारने पर भाजपा में बौखलाहट, प्रदेश नेतृत्व को शिकायत में मिल रही ये बातोंNPR के लिए पूरी मदद करेगी महाराष्ट्र सरकार, लेकिन इसके आगे कुछ नहीं - NCP नेता जीतेन्द्र अव्हाड