पिछड़े वर्ग पर मोदी सरकार का बड़ा फैसला

नई दिल्ली: मोदी सरकार देश के आज़ाद होने के बाद से पहली बार पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की जनगणना करने जा रही है, पिछले काफी समय से पिछड़ा वर्ग की आबादी के आंकड़े जारी करने की मांग के चलते मोदी सरकार द्वारा यह कदम उठाया गया है, इस मुद्दे पर शुक्रवार को गृह मंत्रालय में एक उच्च स्तरीय बैठक हुई थी, जिसमे केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू, रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के अधिकारी शामिल थे.

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बैठक में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने अपना पक्ष रखते हुए 2021 की जनगणना की रूपरेखा को सही तरीके से लागू करने और जनगणना प्रक्रिया को तेज़ करने के निर्देश दिए हैं. मंत्रालय द्वारा बताया गया है कि जनगणना 2021 में सात से आठ साल के बजाय तीन साल बाद अंतिम रूप दिया जाएगा.

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भारतीय इतिहास में यह पहली बार होगा जब पिछड़े वर्ग की जनगणना की जा रही है, सरकार की कोशिश है कि नई तकनीकी के जरिए 2024 तक देश के सामने अन्य पिछड़ा वर्ग की तस्वीर साफ कर दी जाए, इस तरह के डाटा से ये पता चल सकेगा कि धरातल पर अन्य पिछड़ा वर्ग में वो कौन सी जातियां है, जिन्हें आरक्षण या दूसरी सुविधा हासिल करने का अनुपात क्या है. दरअसल पिछड़े दल के नेता ये मांग करते रहे हैं कि पिछड़ी जातियों की संख्या में सही तरीके से जानकारी न मिल पाने की वजह से उन्हें सुविधाओं का फायदा नहीं मिल पा रहा है, जिसके जवाब में ये कदम उठाए जा रहे हैं. 

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