श्रीनगरः केंद्र सरकार ने बीते पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से धारा 370 को निरस्त कर दिया था। इसकेे बाद सरकार ने राज्य के प्रमुख सियासी नेताओं को नजरबंद कर दिया। जिसमें नेशनल कांफ्रेस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कांफ्रेंस जैसे प्रमुख सियासी दलों के नेता शामिल हैं। इन दलों ने सरकार के इस कदम का तीखा विरोध कर रहे हैं। मगर राज्य की अहम सियासी दल नेशनल कांफ्रेस अपने रूख में बदलाव के संकेत दे रही है। हालांकि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) का शीर्ष नेतृत्व अभी भी हकीकत को समझने को तैयार नजर नहीं आता। यही वजह है कि पीडीपी अभी भी सियासी तौर पर निष्क्रिय है। धारा 370 से आजादी के साथ ही राज्य में ऑटोनामी और सेल्फ रूल जैसे नारों की सियासत खत्म हो गई। तब से नेशनल कांफ्रेस, पीडीपी, कांग्रेस, पीपुल्स कांफ्रेंस समेत कई दलों के प्रमुख नेता व कार्यकर्ता हिरासत या नजरबंदी में हैं। राज्य के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती भी हिरासत में हैं। ऐसा माना जाता था कि केंद्र के फैसले पर नेशनल कांफ्रेस और पीडीपी की तरफ से तीव्र प्रतिक्रिया होगी, मगर पिछले दो महीने के दौरान ऐसा कुछ होता नजर नहीं आया। यह बात अलग है कि नेशनल कांफ्रेस के सांसदों ने केंद्र के फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया जरूर जाहिर की, लेकिन वह भी लोगों को इस मुददे पर कहीं खड़ा नहीं कर पाए। यही कारण है कि नेशनल कांफ्रेस ने मौजूदा परिस्थितियों में अपना रवैया बदलने का संकेत देना शुरू कर दिया है। नेशनल कांफ्रेस की रणनीति में बदलाव का अंदाजा गत रविवार को पार्टी नेताओं की डॉ. फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला से मुलाकात से हो जाता है। इस मुलाकात के बाद नेशनल कांफ्रेस नेताओं ने कहीं भी अनुच्छेद 370 को लेकर कोई बयान जारी नहीं किया है। हालांकि नेशनल कांफ्रेस नेताओं ने जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए आंदोलन चलाने का जरूरत संकेत दिया। सूत्रों के मुताबिक एनसी का ध्यान अब राज्य में अपने सियासी आधार को मजबूत बनाने की ओर है। मॉब लिंचिंग पर संघ प्रमुख के बयान की कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने की निंदा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने साधा राहुल पर निशाना, जताई भविष्य को लेकर चिंता महाराष्ट्र चुनावः भाजपा के साथ गठबंधन पर उद्धव ने कही यह बात, साथ ही कांग्रेस पर कसा तंज