सफल हुआ आयुर्वेद और एलोपैथ का इलाज़, जल्द पूरे देश में किया जाएगा लागू

नई दिल्ली: यह बात को हम सभी जानते है कि दिनों दिन कितनी बीमारियां पनप रही है जिसके इलाज के लिए हम कई बार डॉक्टर्स के पास जाते तो है पर पूर्ण रूप से उसका इलाज नहीं करवाते वहीं डायबिटीज, कैंसर, पक्षाघात, हृदय व सांस से संबंधित बीमारियों के इलाज में एलोपैथी और आयुर्वेदिक दवाओं के एक साथ प्रयोग का पायलट प्रोजेक्ट सफल हुआ है. सरकार अब इसके विस्तार पर विचार कर रही है. वर्ष 2017 में व्यापक रूप से शुरू की गई इस योजना के तहत अब तक लगभग 10 लाख मरीजों की जांच की चुकी है. इनमें लगभग 93 हजार मरीजों को लंबे समय तक उपचार के लिए चुना गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि देश में होने वाली कुल मौतों में से 60 फीसद के लिए यही बीमारियां जिम्मेदार होती हैं.

देश के छह जिलों में शुरू किया गया पायलट प्रोजेक्‍ट: मिली जनकारी के अनुसार हम आपको बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कैंसर, डायबिटीज, हृदय व सांस से संबंधित बीमारियों व पक्षाघात (स्ट्रॉक) पर नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम एनपीसीडीसीएस की औपचारिक शुरुआत वर्ष 2010 में की गई थी और इसे पूरे देश में चलाया भी जा रहा है, लेकिन वर्ष 2017 में पहली बार स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय और आयुष मंत्रालय के बीच इस योजना में आयुर्वेद को शामिल करने पर समझौता हुआ.इसके बाद बिहार के गया, राजस्थान के भीलवाड़ा, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी समेत छह जिलों में पायलट प्रोजेक्ट जारी किए जा चुके है. 

आयुर्वेदिक दवाएं साबित हो रही हैं प्रभावी: वहीं पिछले हफ्ते आयुष मंत्री श्रीपद नाइक ने राज्यसभा में बताया था कि डायबिटीज, कैंसर, किडनी व दिल की बीमारियों के लिए प्रामाणिक आयुर्वेदिक दवाएं विकसित की गई हैं, जो काफी प्रभावी साबित हो रही हैं. वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के तहत आने वाले एनबीआरआइ और सीआइएएमपी ने बीजीआर-34 नाम की आयुर्वेदिक दवा विकसित की है. यह डायबिटीज के इलाज में कारगर साबित हो रही है.

इसे टाइप-2 डायबिटीज के इलाज में वैज्ञानिक रूप से प्रामाणिक पाया गया है. वहीं, सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेस (सीसीआरएएस) ने आयुर्वेदिक फार्मूले से आयुष-क्यूओएल-2सी नामक दवा बनाई है. एलोपैथी के साथ इस आयुर्वेदिक दवा का इस्तेमाल एम्स, दिल्ली और जॉन्स मेडिकल कॉलेज, बेंगलुरु में स्तन व सर्वाइकल कैंसर के मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने में किया जाने लगा है.

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