National Handloom Day : हाथों का काम, देश-विदेश का सलाम

National Handloom Day 2020 : हथकरघा या दस्तकारी समिति भरतपुर (सीधी) के कपड़ों को देश-विदेश तक में खूब सराहा जाता है. यहां पर सालों से कई महिलाएं और पुरुष अपने हाथों का हुनर दिखा रहे हैं. इसी के सहारे ये अपना घर चलाते हैं. कई प्रमुख लोग इनके काम की तारीफों के पुल बांध चुके हैं. भारत आज National Handloom Day मना रहा है, तो इनके काम की चर्चा होना तो आम बात है. 

प्राप्त जानकारी के मुताबिक, इस समिति में 150 प्रशिक्षित महिला व पुरुष बुनकर काम करते हैं। वार्षिक टर्नओवर की बात की जाए तो यहां का वार्षिक टर्नओवर वर्ष 2018-19 में 49 लाख रुपये आंका गया है. जबकि 2019-20 में कोरोना काल में भी यहां का टर्नओवर करीब तीस लाख रुपये आंका गया है. साल 2005 में इस समिति को शुरू किया गया था और आज 15 साल बाद इसकी ख़्याति विदेशों तक पहुंच चुकी है. आए दिन कंपनी नए-नए मुकाम छू रही है. 

कोरोना काल में बनाए मास्क

जब दुनियाभर में कोरोना ने दस्तक दी और हर किसी के लिए मास्क आवश्यक हो गया उस स्थिति में यहां के कर्मचारियों ने मास्क बनाए. मास्क की मांग इस कदर बढ़ चुकी थी कि कर्मचारी दिन-रात काम करने में जुट गए. हालांकि आर्थिक संकट से भी समिति को जूझना पड़ा है. हाथ से बने कुर्ता, पायजामा, शर्ट, रूमाल, गमछा, दरी की सालभर बहुत डिमांड हुआ करती थी, लेकिन कोरोना काल में इसमें कई हद तक गिरावट दर्ज की गई है. यह समिति अब तक मप्र के सीधी, रीवा, भोपाल समेत दिल्ली, उप्र के आगरा, कानपुर और बिहार के पटना और सभी प्रदेशों की राजधानी में आयोजित हस्तकरघा मेले में भाग लगाती है. साल 2007 में इस समिति के बनाए हुए कपड़े अमरीका में भी बुलाए गए थे. वहां कुछ व्यापारी भी यहां आकर कपड़े खरीदते हैं.

 

 

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