बजट की नेशनल हेल्थ स्कीम हकीकत या हौवा

दिल्ली : आम बजट में नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम पर सबकी नज़र है. दुनिया के किसी भी देश में सरकार द्वारा दी जाने वाली सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना होने का दावा करने वाली इस योजना का लाभ 10 करोड़ भारतीय परिवारों के 50 करोड़ लोगों को होगा. इसके अंतर्गत साल भर में 5 लाख रुपए के स्वास्थ्य बीमें का प्रावधान है. इसके बारे में स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि ये योजना ऐतिहासिक और क्रांतिकारी है. मगर इस योजना का लाभ लोग कैसे उठा पाएंगे ये सवाल सुनते ही उन्होंने चुप्पी साध ली.

दरअसल 50 करोड़ लोगों को 5 लाख का बीमा और बजट में सिर्फ 2000 करोड़ रुपए. मतलब प्रति व्यक्ति प्रीमियम के लिए सिर्फ ₹40 रुपए . ₹40 रुपए के प्रीमियम पर 5 लाख रुपए की स्वास्थ्य बीमा कौन सी कंपनी कैसे देगी ये एक सवाल है. सचमुच इस योजना को लागू करने के लिए एक लाख 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की जरूरत है, जो भारत के कुल स्वास्थ्य बजट का भी लगभग दोगुना है. लेकिन अगर स्वास्थ्य बीमा का इंतजाम हो भी जाए तो स्वास्थ्य सेवाएं, अस्पताल, डॉक्टर, इलाज के लिए जरूरी साजो-सामान का क्या होगा.

स्वास्थ्य के क्षेत्र में लंबे समय तक काम करने वाले विशेषज्ञ सी एम गुलाटी कहते हैं, ‘प्राइवेट अस्पतालों में सरकार के बीमा के दम पर गरीबों का इलाज नहीं हो सकता. इससे मरीजों के बजाय प्राइवेट अस्पतालों का ही फायदा होगा.’ गुलाटी कहते हैं कि यह योजना तभी कारगर रहेगी जब सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को मजबूत किया जाएगा लेकिन मुश्किल ये है कि सरकार ने हेल्थ को पब्लिक सर्विस के बजाए इंडस्ट्री बना दिया है. सरकारी बीमें पर प्रायवेट अस्पतालों का रुख क्या है ये भी फिलहाल कोई नहीं जानता.

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इसलिए नहीं मिली मध्यम वर्ग को राहत

 

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