धनबाद: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के डीजी योगेश चंद्र मोदी ने पुलिस मुख्यालय में झारखंड पुलिस के अधिकारियों को जानकारी देते हुए कहा है कि एनआइए सिर्फ नक्सलियों की संपत्ति से संबंधित कांडों को ही हाथ में लेगी और उनमे से भी वह उनकी मामलों में हस्तक्षेप करेगी जिनमे जिनमें अनलॉफुल एक्टिविटिज (प्रीवेंशन) एक्ट लगा हो. मतलब वे मामले जिनमे विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम दर्ज किया हुआ हो. दरअसल मंगलवार को एनआइए के डीजी योगेश चंद्र मोदी व आइजी मुकेश सिंह, झारखंड पुलिस के डीजीपी डीके पांडेय के साथ सुरक्षा मामलों पर चर्चा कर रहे थे, इसी दौरान उनकी नक्सलियों और एनआइए पर भी चर्चा हुई, तब योगेश चंद्र ने यह बात कही. एनआइए के डीजी के सामने झारखंड के करीब 20-22 कांडों को रखा, एनआइए के डीजी ने यह कहते हुए इन्हें अस्वीकार किया कि उन्हें यूएपी अधिनियम से संबंधित चुनिंदा केस ही जांच के लिए दिए जाएं, जो ज्यादा महत्वपूर्ण हों. प्रतिबंधित पीएफआइ व जेएमबी के मामलों के बारे में एनआइए ने कहा कि, उनके मामले एनआइए सीधे नहीं ले सकती है. डीजी एनआइए ने बताया कि दोनों ही संगठनों को राज्य सरकार ने बैन तो किया है, लेकिन यूएपी अधिनियम नहीं लगाया है, इसलिए एनआइए सीधे तौर पर इसे नहीं ले सकती है. डीजी से रांची में भी एनआइए के दफ्तर को खोलने और यहां एक पदाधिकारी को बैठाने का आग्रह किया, जिसपर डीजी ने विचार करने का आश्वासन दिया है. झारखण्ड: आदिवासियों के लिए सीएम रघुबर की नई योजनाएं दुकान टूटने के सदमे से दुकानदार को हार्टअटैक, मौत 3 साल से कोई फरियादी नहीं आया इस थाने में