नई दिल्ली : राज्य सभा में मंत्रियों की गैर हाजिरी ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है, और विपक्ष राज्य सभा में संशोधन प्रस्ताव पारित करवाने में सफल हो गया. सदन ने विपक्ष के संशोधनों के साथ विधेयक को मंजूरी दे दी. विधेयक अब वापस लोकसभा को भेजा जाएगा. इस नई प्रक्रिया के कारण पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देकर पिछड़े वर्ग के लिए राष्ट्रीय आयोग के गठन करने के काम में और देरी हो जाएगी. गौरतलब है कि विपक्ष ने इन संशोधनों में धार्मिक आधार पर आरक्षण की बात की गई जिसे अपनी संख्या बल के आधार पर विपक्ष ने इस संशोधन को पारित करा लिया. जबकि सरकार का कहना था कि ऐसा संशोधन आयोग को कानूनी तौर पर कमजोर करेगा और यह अदालत में नहीं टिक पाएगा. इसके लिए अब सरकार को नए सिरे से तैयारी करके फिर से लोकसभा में बिल लाना पड़ेगा, क्योंकि यह बिल लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है. ऐसी दशा में आयोग को संवैधानिक दर्जा देने की पुरानी मांग अटक जाएगी. आपको बता दें कि इस विधेयक को पारित कराने के लिए 245 सदस्यीय सदन में मौजूद सांसदों में से दो तिहाई का इसके पक्ष में होना जरूरी था. लेकिन कई मंत्रियों की गैरहाजिरी ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी.विपक्ष का संशोधन 52 के मुकाबले 74 मतों से पारित हो गया. भाजपा के जदयू को मिलाकर सदन में 89 सदस्य हैं. विधेयक पारित नहीं होने पर पिछड़े वर्ग को निराशा को ध्यान में रखते हुए आखिर में नियम तीन को हटाकर जब विधेयक पर मतदान कराया , तो इसके समर्थन में 124 वोट पड़े. किसी ने भी इसके खिलाफ वोट नहीं दिया. जानिए क्या चल रहा है हमारे देश की राजनीती में, पढिये राजनीतिक पार्टी से जुडी ताज़ा खबरें लापता 39 भारतीयों की मौत का ठोस साबुत नहीं, मैं उन्हें मृत घोषित करने का पाप नहीं करूंगी पाकिस्तान पर सख्ती के लिए अमेरिकी संसद में बिल हुआ पेश