जेएनयू में बीते दिनों छात्रों पर हमला हुआ था. जिसके बाद भारत की राजनीति में सिहासी बवाल शुरू हो गया है. वही दूसरी और लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग सरिंग नांग्याल ने 5 जनवरी को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के परिसर में हुई हिंसा की निंदा की और कहा कि देश में लोकतांत्रिक अधिकारों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए. नांग्याल ने मीडिया पर दिए अपने बयान कहा कि, 'मैं इसे बहुत दुर्भाग्यपूर्ण मानता हूं. हम देश के किसी भी हिस्से में हिंसा और बर्बरता की कड़ी निंदा करते हैं. हम एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं. इस लोकतंत्र का उपयोग करें, दुरुपयोग न करें.' भाजपा नेता सीपी सिंह का आपत्तिजनक बयान, राहुल को बताया नकली गाँधी एक अन्य मामले दूसरी और रविवार को जेएनयू में हुई हिंसा भड़कने का कारण, हॉस्टल की फ़ीस बढ़ाए जाने से उपजा विवाद है. इस विवाद की वजह से जेएनयू कैम्पस में पिछले कई महीनों से अराजकता की स्थिति बनी हुई है. विश्वविद्यालय प्रशासन के अधिकारियों का आरोप है कि ये हमला उन 'छात्रों के एक समूह' ने किया, जो नए छात्रों के रजिस्ट्रेशन की मौजूदा प्रक्रिया का विरोध कर रहे थे. ज़्यादातर लोगों का ये मानना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन के इस बयान का मतलब है वो वामपंथी छात्र हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं, जो फ़ीस बढ़ाए जाने का विरोध कर रहे हैं. दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020: राजधानी में लागू हुई आचार संहिता, हटाए कई पोस्टर और होर्डिंग्स लेकिन, लोगों को इस बात का डर ज़्यादा सता रहा है कि सत्ताधारी पार्टी बीजेपी, कैम्पस में अपने विरोध में उठ रही आवाज़ को दबाना चाहती है. पारंपरिक रूप से जेएनयू में वामपंथी राजनीति का दबदबा रहा है. लेकिन, जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में, हिंदू राष्ट्रवाद की लहर पर सवार बीजेपी, सत्ता में आई है, तब से जेएनयू को लगातार निशाना बनाया जाता रहा है. छात्रों पर भाषण देने की वजह से देशद्रोह के मुक़दमे दर्ज किए गए हैं. इस के अलावा जेएनयू को बीजेपी और पक्षपाती न्यूज़ चैनलों ने 'राष्ट्रविरोधी' बता कर उसकी छवि बिगाड़ने की कोशिश की है. जेएनयू के छात्रों को 'अर्बन नक्सल' कहा जाता है. डोनाल्ड ट्रम्प का ऐलान, ईरान को नहीं बनने देंगे परमाणु शक्ति कांग्रेस ने मोदी सरकार पर साधा निशाना, सीडब्ल्यूसी बुलाई बैठक अमेरिकाऔर ईरान में बढ़ा तनाव, भारत की बढ़ी परेशानी...