नई दिल्ली: देश में सभी चुनाव एक साथ कराने के सम्बन्ध में विधि आयोग ने कार्यवाही तेज़ कर दी है, इस मामले में विधि आयोग द्वारा कुछ ही दिनों में एक विस्तृत रिपोर्ट भी पेश की जाएगी. रिपोर्ट आने के बाद केंद्र सरकार द्वारा इसपर मंथन किया जाएगा, साथ ही चुनाव आयोग से भी इस मुद्दे पर सुझाव लिए जाएंगे. मंगलवार को विधि आयोग ने इस प्रस्ताव पर विचार करते हुए इसके महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की. विधि आयोग ने इस प्रस्ताव पर एक प्रश्नावली भी जारी की है, जिसके जरिए वो बुद्धिजीवियों से इस मसले पर सुझाव चाहती है, आयोग चाहता है कि 'एकसाथ चुनाव' की परिभाषा तय की जाए. इस परिभाषा में शामिल करने के लिए जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 2 में संशोधन का प्रस्ताव आयोग ने किया है. आयोग का मानना है कि इसके लिए लोकसभा नियमावली में धारा 198A जोड़ी जा सकती है. ऐसा ही नियम राज्य की विधानसभा नियमावली में भी जोड़ा जा सकता है. दूसरी ओर, अदालती आदेश या मर्यादा की अवमानना पर सरकारी पेशकश को विधि आयोग ने सिरे से नकार दिया है. सरकार अदालती अवमानना को सिर्फ अदालती कार्रवाई और कार्रवाई तक ही सीमित रखने के हक में थी, लेकिन अदालत की तो छोड़िए विधि आयोग तक ने सरकार की बात को दरकिनार कर दिया. आपको बता दें कि पिछले कुछ समय से एक देश एक चुनाव की मांग तेज़ी से उठी है, इस मांग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी सहमत हैं, इस मांग का उद्देश्य है, उनका कहना है कि ऐसा करने से चुनाव के आर्थिक खर्चों में भी कमी आएगी और अलग-अलग चुनाव कराने में जो समय लगता है वो देश के विकास में लगेगा. मोदी सरकार पर बरसे मनीष सिसोदिया स्वीडन में स्वागत के बाद पीएम मोदी लंदन रवाना मेरा पीएम बनना 'बाबा साहेब' की देन - पीएम मोदी