कोरोना के कहर में स्वच्छ हुआ वातावरण, 200 किलोमीटर दूर से नजर आई हिमाचल की पहाड़ियां

दुनिया भर में कोरोना के चलते इंसानी जीवन थम गया है. क्योकि लगभग हर देश की सरकार द्वारा लॉकडाउन किया गया है. लेकिन यह लॉकडाउन इंसानों के लिए जरूर मुसीबत बना है लेकिन इसकी वजह से धरती दोबारा खुद को संजोने में कुछ हद तक कामयाब रही है. न गाडियों का शोर-शराबा, न गाडियों से निकलता काला धुंआ, न भीड़-भाड़, न इंसानों के फेंके हुए कचरे का ढेर, न भारी मशीनों के चलने से होने वाली गड़गड़ाहट और न ही ऊर्जा की बेतहाशा खपत. इसमें कोई शक नहीं है कि ये सभी कुछ कोरोना के डर की बदौलत हुआ है. लेकिन, इस डर की वजह से वो हुआ है जो वो कर पाने में आज तक दुनिया की सभी सरकारें नाकाम साबित हुई थीं. वर्तमान में जारी लॉकडाउन से नदियां फिर से साफ होने के साथ सांस लेने लगी हैं.

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अगर बात करें भारत की तो लॉकडाउन के दौरान पूरे देश की हवा सांस लेने लायक हो गई है. वातावरण इतना साफ हो चुका है कि जालंधर से 200 किलोमीटर दूर हिमाचल की पहाड़ियां भी साफ दिखाई देने लगी थीं. इसकी कुछ तस्‍वीरें पिछले दिनों सोशल मीडिया पर वायरल भी हुईं थीं. 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा वाले दिन दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 122 अंक पर था, जो लॉकडाउन के दौरान 21 अप्रैल को 87 पर आ गया. देश के सबसे प्रदूषित जिलों में शामिल गाजियाबाद में 22 मार्च को एक्यूआई 237 पर था जो 7 अप्रैल को 54 पर आ गया था.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि उद्योगों के बंद होने से नदियों में जाने वाली गंदगी बंद हो गई है. इससे नदियों का प्रदूषण काफी घटा है. ऋषिकेष और हरिद्वार में गंगाजल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा एक प्रतिशत से ज्यादा बढ़ गई है. केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, नदी के पानी में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा का मानक 6.00 प्रति लीटर तय है. ऋषिकेश में लॉकडाउन से पूर्व गांगा में ऑक्सीजन की मात्रा 5.20 प्रति लीटर मापी गई थी, जो अब बढ़कर 6.50 प्रति लीटर हो गई है.

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