राजनीति को कोरोना वायरस के कहर ने पूरी तरह लॉकडाउन की स्थिति में ला खड़ा किया है. राजनीति में भी आंधी-तूफानों ठहरने का नाम नही ले रहे है. इस महामारी का यह खौफ ही है कि अभी हफ्ते भर पहले तक देश की सियासत को गरमाते रहे बड़े-बड़े मुददे चर्चाओं तक से गायब हो गए हैं. चाहे नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी का मसला हो एनपीआर का विवाद या फिर सियासी पाला बदलने से जुडा हार्स ट्रेडिंग के आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर सब कुछ कोरोना के कहर में कैद हो गया है. इन मुददों को लेकर राजनीतिक पारा आसमान तक पहुंचाने वाली पार्टियों के सियासी जुबान पर भी संपूर्ण लॉकडाउनन का असर साफ दिख रहा है. लॉकडाउन: जमाखोरों पर बरसे मनीष सिसोदिया, कहा- ऐसे समय में मुनाफाखोरी हमारे धर्म में पाप आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पुराने राजनीतिक धुरंधरों की मानें तो राजनीति की गति पर ऐसा गंभीर ब्रेक तो शायद आपातकाल के दौर में भी नहीं था क्योंकि तब विपक्षी पार्टियों के नेता गुपचुप अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहते थे. समाजवादी पृष्ठाभूमि के दो पुराने नेताओं ने अनौपचारिक चर्चा में कहा कि राजनतिक बंदी का ऐसा दौर तो उनलोगों ने कभी नहीं देखा जैसा कोरोना वायरस के कहर से दिखने लगा है. सुबह 8 से 1 बजे तक खुले रहेंगे बाजार, घर से मास्क पहनकर निकलना होगा अनिवार्य अगर आपको नही पता तो बता दे कि इस महामारी का खौफ ही ऐसा है कि मानव इतिहास के अब तक के सबसे बडे 21 दिन के लॉकडाउन में राजनीतिक पार्टियां अपनी मौजूदा सियासत की मुख्य धुरी बने मुद्दे को भी फिलहाल भूलती दिख रही हैं. कांग्रेस समेत विपक्ष की कई पार्टियां बीते तीन-चार महीने से नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी व एनपीआर को लेकर एनडीए सरकार से बडी सियासी जंग लड़ रही थीं. मगर कोरोना संकट में ये मुददे अब चर्चा से भी बाहर हो गए हैं. राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानि एनपीआर को सरकार ने खुद ही बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी.' श्री कृष्ण के इस प्रसंग से लें सीख, 'कोरोना' पर अवश्य मिलेगी जीत 'कोरोना; की मार से घुटनों पर आ जाएगी भारतीय इकॉनमी, मूडीज ने जारी किया अनुमान विदेश से आने वालों ने जानकारी छुपाई, इसीलिए बढ़ा कोरोना का खतरा- शिवराज सिंह चौहान