पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राष्ट्रीय सचिव एवं चतरा जिले के पूर्व विधायक जनार्दन पासवान अपना अंधकारमय भविष्य देखकर राजद से अलग हो गए हैं। लालटेन छोड़कर उन्होंने अब भगवा अपना लिया है। चतरा की राजनीति में जनार्दन पासवान लगभग पिछले ढाई दशक से सक्रिय भूमिका में रहे हैं। बिहार और झारखंड विधानसभा में उन्होंने चतरा का प्रतिनिधित्व किया है। लोकसभा चुनाव: तेलंगाना सीएम की बेटी के खिलाफ 250 किसानों ने भरा नामांकन राजद के टिकट पर जनार्दन इस सीट से पांच बार विधानसभा चुनाव लड़े हैं। हालांकि उन्हें जीत दो ही बार मिली। एकीकृत बिहार में वे पहली बार 1995 में यहां विधानसभा प्रत्याशी बने थे। माकपा उम्मीदवार संतु दास की हत्या होने से चुनाव स्थगित हो गया था। कुछ माह बाद उपचुनाव में राजद प्रत्याशी की हैसियत से जनार्दन फिर मैदान में उतरे और जीत दर्ज की थी। 2000 में भाजपा प्रत्याशी सत्यानंद भोक्ता के हाथों उन्हें शिकस्त मिली थी। लोकसभा चुनाव: राहुल गाँधी का नया चुनावी वादा, गरीबों को प्रतिमाह देंगे 6000 रु इसके बाद 2005 के चुनाव में उन्होंने फिर राजद से किस्मत आज़माई। इस बार भी कामयाबी हाथ नहीं लगी। 2009 में वे भाजपा प्रत्याशी को रिकार्ड मतों से मात देकर झारखंड विधानसभा पहुंचे थे। 2014 के चुनाव में वे भाजपा प्रत्यशी से हार गए। 2009 का विधानसभा चुनाव जितने वोट से जीते से उससे ज्यादा वोट से हारते हुए वे तीसरे स्थान पर रहे थे। इसके बाद भी वे अपने विधानसभा क्षेत्र और संगठन में सक्रिय भूमिका निभाते रहे। लगभग दो साल बाद जब राजद का संगठन विस्तार हुआ, तब उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय सचिव बनाया गया था। अब वे राजद छोड़कर भाजपा में शामिल गए हैं। खबरें और भी:- भोपाल से अपनी जीत के प्रति इतने आश्वस्त है दिग्विजय सिंह लोकसभा चुनाव: जेटली ने कांग्रेस पर किया प्रहार, कहा- इनके वादे सिर्फ धोखा चार सालों में जितने काम दिल्ली सरकार के अधीन थे, वो पूरे हो गए हैं : केजरीवाल