शरीर में पनप रहे कोरोना वायरस के लिए विभिन्न मापदंड पर बनाई जा रही वैक्सीन

कोरोना वायरस ने दुनिया के 180 से अधिक देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. जिसके बाद बहुत तेजी से कोरोना वायरस का इलाज खोजने का प्रयास चल रहा है. इसी कड़ी में विभिन्न दवाओं पर शोध किया जा रहा है. कई दवाओं का वायरस के खिलाफ ट्रायल किया जा रहा है. बीबीसी के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने सटीक उपचार के आकलन के लिए सॉलिडेरिटी परीक्षण शुरू किया है. वहीं ब्रिटेन सबसे बड़े रिकवरी परीक्षण में जुटा है. साथ ही दुनिया के कई देश कोरोना के इलाज के लिए शोध में जुटे हैं. कोरोना से लड़ाई में कौनसी दवा कारगर है, कैसे करती हैं दवाएं काम, क्या एचआइवी और मलेरिया की दवा इस महामारी में कारगर हैं, जैसे सवालों की पड़ताल करती यह रिपोर्ट.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि दुनिया में कोरोना से मुकाबले के लिए विभिन्न देशों में काम चल रहा है. करीब 150 दवाओं पर रिसर्च की जा रही है. वायरस के खिलाफ डब्ल्यूएचओ ने सॉलिडेरिटी ट्रायल को लांच किया है, जिसका उद्देश्य सर्वाधिक भरोसेमंद उपचार को तलाशना है. बीबीसी के अनुसार इसमें चार विकल्पों की तुलना की जाएगी और उन दवाओं का पता लगाया जाएगा जो रोग को धीमा करती हैं या फिर जीवित रहने की उम्मीद बढ़ाती है. वहीं ब्रिटेन का दावा है कि रिकवरी ट्रायल दुनिया का सबसे बड़ा परीक्षण है, जिसमें 5000 से ज्यादा लोग हिस्सा बन चुके हैं. जबकि दुनिया के कई हिस्सों में रिसर्च सेंटर्स संक्रमण के बाद ठीक होने वाले व्यक्ति के रक्त के नमूनों को उपचार के रूप में देख रहे हैं.

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दवाई की खोज की दिशा में इसे लेकर तीन दृष्टिकोणों पर काम किया जा रहा है. इनमें एंटीवायरस दवाएं हैं जो शरीर के अंदर पनपने की कोरोना वायरस की क्षमता को प्रभावित करती हैं. दूसरी तरह की दवाएं इम्यून सिस्टम को शांत कर सकती हैं. मरीज गंभीर रूप से बीमार होता है तो उसका इम्यून सिस्टम खत्म हो जाती है और शरीर को क्षति होती है. तीसरी तरह की दवाओं में एंटीबॉडी है, जो कि संक्रमण से ठीक होने वाले व्यक्ति के रक्त से या लैब में तैयार की जाती है, जो वायरस पर हमला कर सकते हैं.

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