भारत के राज्य मध्य प्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक में नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने के लिए संकल्प पारित किया गया है. संकल्प में मांग की गई है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को निरस्त किया जाए. यह जानकारी कैबिनेट की बैठक के बाद दी गई. इसके साथ ही एनपीआर में भी बदलाव की मांग. बैठक में कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए गए हैं. बता दें कि इससे पहले केरल, पंजाब, राजस्थान विधानसभा ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था. जापान में मचा हड़कंप, कोरोनावायरल की चपेट में आए 10 लोग मीडिया रिपोर्ट के अनुसार नागरिकता संशोधन विधेयक संसद से पारित होने के बाद भी इस कानून को लेकर जारी चर्चा थमी नहीं है. इस क़ानून के विरोध में देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ. इसकी शुरुआत पूर्वोत्तर भारत से हुई. ख़ास तौर से असम में इसे लेकर बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए. इसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, दिल्ली की जेएनयू और जामिया यूनिवर्सिटी में भी प्रदर्शन हुए. इस प्रधानमंत्री की पत्नी पर भ्रष्टाचार का मुकदमा शुरू सरकार के इस फैसले के बाद अब सवाल उठता है कि आख़िर इस कानून में क्या है, जिसे लेकर विवाद इतना बढ़ गया है. इस कानून के मुताबिक पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. भारत को उकसाने के लिए पाकिस्तान ने उठाया ना-पाक कदम ओवैसी और योगी में घमासान , योगी बोले- 'जय श्री राम'... मगरमच्छ के मुंह से निवाला छीनकर भागा तेंदुआ, इंटरनेट पर वीडियों वायरल