नवरात्रि के समय में लोग माँ दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। नौ दिनों तक घर तथा मंदिर में माता को स्थापित कर पुरे विधि-विधान से पूजा-पाठ तथा उपवास रखते हैं। इन नौ दिनों में माता के नौ भिन्न-भिन्न रूपों की पूजा की जाती है। 29 सितंबर 2019 को नवरात्रि का प्रथम दिन है जिसमें प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना की जाएगी। शास्त्रों में नवरात्रि का फेस्टिवल मनाए जाने के पीछे दो वजह बताई गई हैं। प्रथम पौराणिक कथा के मुताबिक महिषासुर नाम का एक दानव था जो ब्रह्मा जी का बड़ा भक्त था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी को खुश करके एक आशीर्वाद प्राप्त कर लिया। वरदान में उसे कोई देव, दानव अथवा पृथ्वी पर रहने वाला कोई व्यक्ति मार ना पाए। आशीर्वाद प्राप्त करते ही वह बहुत निर्दयी हो गया तथा तीनो लोकों में आतंक मचाने लगा। उसके आतंक से भयभीत होकर देवी-देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ मिलकर माँ शक्ति के रूप में दुर्गा को जन्म दिया। माँ दुर्गा तथा महिषासुर के मध्य नौ दिनों तक खतरनाक युद्ध हुआ तथा दसवें दिन माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इस दिन को अच्छाई पर बुराई की जीत के तौर पर मनाया जाता है। वही एक दूसरी कथा के मुताबिक, प्रभु श्री राम ने लंका पर हमला करने से पहले तथा रावण के संग युद्ध में जीत के लिए शक्ति की देवी माँ भगवती की भक्ति की थी। रामेश्वरम में उन्होंने नौ दिनों तक माता की पूजा की। उनकी भक्ति से खुश होकर माँ ने श्रीराम को लंका में विजय प्राप्ति का वरदान दिया। दसवें दिन प्रभु श्री राम ने लकां नरेश रावण को युद्ध में हराकर उसका वध कर लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन को विजय दशमी के तौर पर जाना जाता है। इसी के साथ नवरात्री के मनाने का ये कारण है। शनि देव सदैव करते है गरीबों और असहाय लोगों की मदद 1521 तक गुरु नानक देव ने पुरे किए थे चार यात्राचक्र अधिक मास में इन मंत्रो के जाप से मिलेगी शान्ति