नवरात्रि: सुदर्शन चक्र से किये थे माता सती के 52 टुकड़े जो कहलाये शक्तिपीठ, जानिए नाम और कहाँ है स्थित

देवी के प्रसिद्ध और पावन मंदिरों में 52 शक्तिपीठ शामिल हैं। वैसे तो केवल 51 शक्तिपीठ माने जाते हैं हालाँकि तंत्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं। जी हाँ और इन शक्तिपीठ के अस्तित्व में आने के पीछे एक खास वजह है। 

जी दरअसल पौराणिक कथा के मुताबिक, भगवान शिव की पहली पत्नी सती ने अपने पिता राजा दक्ष की मर्जी के बिना भोलेनाथ से विवाह किया था। इस पर एक बार राजा दक्ष में एक विराट यज्ञ का आयोजन किया लेकिन अपनी बेटी और दामाद को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया। माता सती बिना पिता के निमंत्रण के यज्ञ में पहुंच गईं, जबकि भोलेनाथ ने उन्हें वहां जाने से मना किया था। राजा दक्ष ने माता सती के सामने उनके पति भगवान शिव को अपशब्द कहे और उनका अपमान किया। पिता के मुंह से पति के अपमान माता सती से बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यज्ञ की पवित्र अग्नि कुंड में कूदकर प्राण त्याग दिए। भोलेनाथ पत्नी के वियोग को सह न सके। वह माता सती का शव लेकर शिव तांडव करने लगे। ब्रह्मांड पर प्रलय आने लगी, जिस पर विष्णु भगवान ने इसे रोकने के लिए सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। माता के शरीर के अंग और आभूषण 52 टुकड़ों में धरती पर अलग-अलग जगहों पर गिरे, जो शक्तिपीठ बन गए। अब आज हम आपको बताते हैं देवी के 52 शक्तिपीठ कहां-कहां स्थित हैं और सभी शक्तिपीठ के क्या नाम हैं।

माता के शक्तिपीठ विशालाक्षी और मणिकर्णी स्वरूप मणिकर्णिका घाट, वाराणसी, उत्तर प्रदेश  माता ललिता देवी शक्तिपीठ, प्रयागराज  माता शिवानी रामगिरी, चित्रकूट, उत्तर प्रदेश उमा शक्तिपीठ- वृंदावन में देवी पाटन मंदिर, बलरामपुर हरसिद्धि देवी शक्तिपीठ- मध्य प्रदेश में शोणदेव नर्मता शक्तिपीठ मध्यप्रदेश के अमरकंटक में नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में ज्वाला जी शक्तिपीठ हिमाचल के कांगड़ा में त्रिपुरमालिनी माता शक्तिपीठ पंजाब के जालंधर में महामाया अमरनाथ के पहलगांव, कश्मीर में माता सावित्री का शक्तिपीठ हरियाणा के कुरुक्षेत्र में विशालाक्षी शक्तिपीठ, वाराणसी गायत्री स्वरूप मणिबंध अजमेर के पुष्कर में  माता अंबिका बिरात राजस्थान में अंबाजी मंदिर गुजरात में चंद्रभागा- गुजरात के जूनागढ़ में भ्रामरी स्वरूप- महाराष्ट्र के जनस्थान पर माताबाढ़ी पर्वत शिखर शक्तिपीठ त्रिपुरा में देवी कपालिनी- बंगाल में पूर्व मेदिनीपुर जिले के तामलुक स्थित विभाष में देवी कुमारी बंगाल के हुगली में रत्नावली में विमला स्वरूप मुर्शीदाबाद के किरीटकोण ग्राम में भ्रामरी देवी जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल में सालबाढ़ी गांव में बहुला देवी शक्तिपीठ वर्धमान जिले के केतुग्राम इलाके में मंगल चंद्रिका माता शक्तिपीठ - वर्धमान जिले के उज्जनि में पश्चिम बंगाल के वक्रेश्वर में नलहाटी शक्तिपीठ- बीरभूम के नलहाटी में  फुल्लारा देवी शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के अट्टहास में नंदीपुर शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल में  युगाधा शक्तिपीठ- वर्धमान जिले के ही क्षीरग्राम में कलिका देवी शक्तिपीठ-मान्यताओं के मुताबिक, कालीघाट में कांची देवगर्भ शक्तिपीठ- पश्चिम बंगाल के कांची में भद्रकाली शक्तिपीठ- दक्षिण भारत में  शुचि शक्तिपीठ- तमिलनाडु में कन्याकुमारी के पास शुचि तीर्थम शिव मंदिर स्थित है और यहां भी माता का शक्तिपीठ है।  विमला देवी शक्तिपीठ- उड़ीसा के उत्कल में सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ- आंध्र प्रदेश में दो शक्तिपीठ हैं। इनमे एक सर्वशैल रामहेंद्री शक्तिपीठ है।  श्रीशैलम शक्तिपीठ- आंध्र में ही दूसरी शक्तिपीठ कुर्नूर जिले में कर्नाट शक्तिपीठ- कर्नाटक में कामाख्या शक्तपीठ गुवाहाटी के नीलांतल पर्वत पर मां भद्रकाली देवीकूप मंदिर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में चट्टल भवानी शक्तिपीठ- बांग्लादेश के चिट्टागौंग जिले में चंद्रनाथ पर्वत पर  सुगंधा शक्तिपीठ- बांग्लादेश के शिकारपुर से 20 किमी दूर जयंती शक्तिपीठ -बांग्लादेश के सिलहट जिले में जयंतिया परगना में श्रीशैल महालक्ष्मी -बांग्लादेश के सिलहट जिले में यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ -बांग्लादेश के खुलना जिले में यशोर नाम की जगह है  इन्द्राक्षी शक्तिपीठ- श्रीलंका के जाफना नल्लूर में  गुहेश्वरी शक्तिपीठ- नेपाल मे पशुपतिनाथ मंदिर से कुछ दूरी पर बागमती नदी के किनारे आद्या शक्तिपीठ- नेपाल में गंडक नदी के पास दंतकाली शक्तिपीठ- नेपाल के बिजयापुर गांव में मनसा शक्तिपीठ- तिब्बत में मानसरोवर नदी के पास मिथिला शक्तिपीठ- भारत नेपाल सीमा पर हिंगुला शक्तिपीठ- पाकिस्तान के बलूचिस्तान में

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