नवरात्रि का पर्व चल रहा है और इस पर्व के दौरान माता रानी के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। जी दरअसल माता रानी अपने नौ रूपों को 9 दिनों में दिखाती हैं, हालाँकि माता के 52 शक्तिपीठ है। जी हाँ और आज हम आपको बताने जा रहे हैं उन शक्तिपीठों के बारे में जो पश्चिम बंगाल में स्थित है। सबसे पहले हम बात करेंगे देवी कपालिनी मंदिर की। जी दरअसल यहाँ देवी सती की बायीं एड़ी गिरी थी। जी हाँ और यह पश्चिम बंगाल के विभाष, तामलुक, पूर्व मेदिनीपुर जिला में स्थित है। वहीं महिषमर्दिनी शक्तिपीठ भी है जो वक्रेश्वर पश्चिम बंगाल में स्थित है। कहा जाता है यहाँ देवी का भ्रूमध्य गिरा था और यहाँ बना मंदिर महिषमर्दिनी मंदिर कहलाया। इसी के साथ अट्टहास, पश्चिम बंगाल में देवी सती का एक शक्तिपीठ है। जी दरअसल यहाँ माता के होंठ गिरे थे और यहां उनका नाम पड़ा फुल्‍लारा देवी शक्तिपीठ। इसके अलावा नंदीपुर शक्तिपीठ भी है जो पश्चिम बंगाल में ही स्थित है। कहा जाता है यहाँ माता सती का हार गिरा था और यहां मां नंदनी की पूजा की जाती है। इसी के साथ युगाधा शक्तिपीठ भी है जो पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के ही क्षीरग्राम में स्थित है। यहाँ माता के दायें हाथ का अंगूठा गिरा। जी हाँ और इस स्थान पर माता का शक्तिपीठ बन गया, जहां उन्हें देवी जुगाड्या के नाम से पुकारा जाता है। इसी के साथ कांची देवगर्भ शक्तिपीठ है जो पश्चिम बंगाल के कांची में स्थित है और यहाँ देवी की अस्थि गिरी थीं। यहां माता देवगर्भ रूप में स्थापित हैं। इस तरह पश्चिम बंगाल में माता के कई शक्तिपीठ स्थित है जिनके दर्शन के लिए लोग जाते रहते हैं। कुरुक्षेत्र में गिरी थी मातारानी की एड़ी, आज कहलाता है भद्रकाली पीठ मां ज्वाला देवी को बुझाने में असफल हुआ था अकबर, हारकर चढ़ाया था स्वर्ण छत्र नवरात्रि: नेत्रों का है विकार तो जरूर करें नैनादेवी मंदिर के दर्शन