छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का सफाया जारी, सुरक्षाबलों ने 7 और वामपंथी उग्रवादियों को किया ढेर

रायपुर: छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद से ही नक्सलवाद का सफाया जारी है। राज्य के सीएम विष्णु देव साय ने शपथ के बाद कहा भी था कि, उनकी सरकार जनता को सुरक्षित करने के लिए नक्सलियों के खिलाफ कड़े अभियान चलाएगी। दरअसल, राज्य में नक्सली, बेकसूर ग्रामीणों को मुखबिर बताकर उनकी निर्मम हत्याएं कर दिया करते थे और लाशों को सड़क पर फेंक देते थे। नक्सलियों के खौफ का आलम ये था कि, वे हत्या के बाद बाकायदा पर्चे भी छोड़ते थे कि, मतदान में हिस्सा लिया या मुखबिरी की या हमारा साथ नहीं दिया, तो उसका यही अंजाम होगा। कई ग्रामीण आदिवासियों के साथ उनके लिए काम करने वाले नेताओं को भी वामपंथी नक्सलियों ने इसी तरह मार डाला था, लेकिन अब नक्सली या तो सरेंडर कर रहे हैं या फिर उन्हें ढेर किया जा रहा है। सीएम साय ने ये भी ऐलान किया है कि सरेंडर करने वाले नक्सलियों के पुनरुत्थान के लिए काम किया जाएगा और उन्हें सुधरने का मौका देकर मुख्यधारा में जोड़ा जाएगा। बड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर कर चुके हैं, वहीं आज सुरक्षाबलों ने 7 और नक्सलियों को ढेर किया है।   

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कोंडागांव की अंतर-जिला सीमा पर जिला रिजर्व समूह (DRG) के जवानों के साथ मुठभेड़ में कम से कम सात नक्सली मारे गए। नारायणपुर के पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार ने बताया कि, "हथियार बरामद कर लिए गए हैं। अभियान जारी है।" उन्होंने बताया कि मुठभेड़ स्थल से सात नक्सलियों के शव बरामद किए गए हैं। शुक्रवार रात हुई मुठभेड़ में घायल हुए नारायणपुर DRG के तीन जवानों को पूर्वी बस्तर संभाग के गोबेल इलाके से एयरलिफ्ट कर अस्पताल पहुंचाया गया। पुलिस ने बताया कि नारायणपुर, कोंडागांव, दंतेवाड़ा और जगदलपुर से DRG की एक संयुक्त टीम ITBP की 45वीं बटालियन के साथ अबूझमाड़ इलाके में माओवादी विरोधी अभियान पर निकली थी, तभी माओवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी और हमले का तुरंत जवाब दिया गया। 

इससे पहले 2 जून को नारायणपुर जिले के दुर्मी गांव में नक्सलियों ने एक मोबाइल टावर में आग लगा दी थी। 25 मई को बीजापुर के जप्पेमरका और कामकानार के जंगल में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में दो नक्सली मारे गए थे। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद राज्य और केंद्र सरकार दोनों के लिए लगातार चुनौती रहा है। इस क्षेत्र के घने जंगल और दुर्गम इलाके नक्सल समूहों को राज्य में अपना आधार स्थापित करने और काम करने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करते हैं। इससे पहले मई में एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सरकार ने नक्सलवाद से निपटने के लिए निर्णायक कदम उठाए हैं और अगले दो से तीन वर्षों में देश नक्सल समस्या से मुक्त हो जाएगा। शाह ने कहा था कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा किए गए प्रयासों से कल्याणकारी योजनाएं उन आदिवासी क्षेत्रों तक पहुंच रही हैं जो इनसे वंचित थे। 

उन्होंने कहा कि झारखंड, बिहार, तेलंगाना, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र पूरी तरह से नक्सलवाद से मुक्त हैं और छत्तीसगढ़ के तीन या चार जिलों में यह समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि अगले 2-3 वर्षों में देश नक्सल समस्या से पूरी तरह मुक्त हो जाएगा। शाह ने कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद महज साढ़े चार महीने के भीतर 112 नक्सलियों को ढेर कर दिया गया, करीब 375 ने आत्मसमर्पण किया और 153 को गिरफ्तार किया गया...इसके विपरीत कांग्रेस कहती है कि फर्जी मुठभेड़ें की जा रही हैं।’’

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