राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने कर्नाटक में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा मुस्लिम समुदाय को आरक्षण के लिए पिछड़ी जाति के रूप में वर्गीकृत करने के निर्णय पर असहमति व्यक्त की है। लोकसभा चुनाव में आरक्षण एक बड़ा मुद्दा बन छाया हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह एससी, एसटी और ओबीसी का हक मारकर मुसलमानों को देना चाहती है।आयोग ने तर्क दिया कि यह दृष्टिकोण "सामाजिक न्याय के सिद्धांत" को कमजोर करता है और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी जातियों या समुदायों को पूरे धर्म के बराबर नहीं माना जा सकता।कर्नाटक में, मुस्लिम धर्म के सभी जातियों और समुदायों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ी श्रेणियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस वर्गीकरण के माध्यम से मुस्लिम समुदाय को शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश के लिए और राज्य सरकार की नियुक्तियों के लिए आरक्षण का लाभ मिलता है। यही नहीं राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कर्नाटक में मुस्लिमों को मिलने वाले आरक्षण की नियमावली के बारे में भी विस्तार से बताया है। आयोग ने बताया कि कर्नाटक में कैटेगरी 1 के तहत 17 मुस्लिम जातियों को शामिल गया है, जो 4 फीसदी ओबीसी कोटे के तहत आवेदन कर सकती हैं। इसके बाद कैटेगरी 2A में 19 मुस्लिम जातियां शामिल हैं और कुल मिलाकर 393 जातियां इस सूची का हिस्सा हैं। इसके तहत 15 फीसदी ओबीसी कोटा मिलता है। इसके बाद कैटेगरी 2B के तहत 4 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, जिसमें मुस्लिम समुदाय की सभी जातियां शामिल हैं। मुस्लिम समुदाय के भीतर वंचित और ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाले समूहों की उपस्थिति को स्वीकार करते हुए, आयोग ने नोट किया कि इस्लाम जाति प्रणाली को स्वीकार नहीं करता है। हालांकि, व्यवहार में इस्लाम पूरी तरह से जातिवाद से मुक्त नहीं है। NCBC ने निष्कर्ष निकाला कि पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़ा मानना समाज में विविधता और जटिलताओं की अनदेखी करना है। आयोग ने यह भी चेतावनी दी कि यह निर्णय अन्य पिछड़ा वर्गों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है। 11वीं की छात्रा की हार्ट अटैक से हुई मौत, परिजनों ने स्‍कूल पर लगाए आरोप 'छावा' से लीक हुआ विक्की कौशल का लुक, इस अवतार में आए नजर पत्नी युविका के प्रेग्नेंट होने की ख़बरों पर पति प्रिंस ने तोड़ी चुप्पी, किया ये खुलासा