एनपीआर कानून को लेकर देशभर में जनता को काफी कम बाते पता है. लेकिन इस कानून को लेकर कई राज्यों में हिंसात्मक प्रदर्शन देखने को मिला है. वही दूसरी ओर संसदीय समिति ने लोगों की एनपीआर से जुड़ी आशंकाओं को दूर करने के लिए सभी राज्यों के बीच आम सहमति कायम की जरूरत बताई है. इस सिलसिले में आधार का डेटा लेने की सलाह गृह मंत्रालय को दी गई है. कांग्रेस सांसद आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय से संबद्ध स्थायी समिति ने राज्यसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव दिया है. कहा है कि 2020-21 के एनपीआर को अद्यतन या अपडेट करने के लिए अप्रैल से शुरू होने वाली प्रक्रिया में मंत्रालय को आधार के डेटा के इस्तेमाल की संभावनाओं पर विचार करना चाहिए. 'भारत में हो रहा मुस्लिमों का नरसंहार, कट्टर हिन्दुओं पर लगाम लगाए सरकार' आपकी जानकारी के लिए बता दे कि सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को एनपीआर से जुडे़ मुद्दों के बारे में पूरी तरह आश्वस्त करना चाहिए. ताकि एनपीआर को लेकर सभी राज्यों में पूर्ण स्पष्टता के साथ राष्ट्रीय सहमति कायम हो सके और किसी भी व्यक्ति के मन में इसे लेकर कोई आशंका न रहे. इससे एनपीआर की प्रक्रिया को भलीभांति संपन्न करने में मदद मिलेगी. सरोज पांडेय को हाथ लगी निराशा, निर्वाचन आवेदन मामले में कोर्ट ने बोली ये बात इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भले ही क्रिप्टो करेंसी के उपयोग की इजाजत दे दी हो. लेकिन समिति ने क्रिप्टो करेंसी के साथ डार्कनेट मार्केट के विस्तार पर गहरी चिंता जताई है. समिति का मानना है कि क्रिप्टो करेंसी का उपयोग नशीली दवाओं के तस्करों द्वारा किया जाता है. वे आपस में संवाद के लिए एन्कि्रप्टेड सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं, ताकि कोई उसे सुन या समझ न सके. ऐसे लेनदेन का पता लगाना तथा उसे जब्त करना मुश्किल है. इसलिए समिति ने सिफारिश की है कि खुफिया एजेंसियों को ड्रग ट्रैफिकिंग के रास्तों की गहन जांच-पड़ताल करनी चाहिए. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अधिकारियों को उपयुक्त प्रशिक्षण के जरिये दवाओं की तस्करी रोकने के तरीकों की हर जानकारी दी जानी चाहिए. मांगेराम गुप्ता का हुआ निधन, निवास स्थान पर लगा लोगों का तांता बोगस वोटिंग पर लगने वाली है लगाम, सरकार बना रही नया प्लान सीएम जयराम ठाकुर आज करेंगे बजट पेश, हर वर्ग को काफी उम्मीद