गोरखपुरः नेपाल सरकार के एक कदम से गीताप्रेस संकट में आ गयी है। नेपाल सरकार ने प्रिंटेड बुक्स पर इंपोर्ट टैक्स लगाने की घोषणा की है। ये टैक्स 10 फीसदी है। इस कदम से गीताप्रेस प्रभावित होगी। नेपाल की राजधानी काठमांडू में गीताप्रेस के केंद्र से पूरे नेपाल में किताब पहुंचाई जाती हैं। ऐसे में यह टैक्स गीता प्रेस के लिए कठिनाई पैदा करने वाला है। किताब लेकर नेपाल जाने वाले किसी एक गाड़ी पर पहले एकमुश्त 565 रुपये टैक्स लगता था। अब गाड़ी पर लदी कुल किताबों का मूल्य का 10 प्रतिशत टैक्स देना होगा। सामान्य तौर पर एक वाहन पर सात-आठ लाख रुपये मूल्य की किताबें भेजी जाती हैं। इस तरह अब 70-80 हजार रुपये देने होंगे। गीताप्रेस लागत कीमत से कम दर पर किताबें उपलब्ध कराता है। प्रिंट कीमत से ज्यादा दाम पर नेपाल में किताबें बेचना गीताप्रेस के नियम के खिलाफ होगा। दूसरी तरफ गीताप्रेस अपनी किताबों पर दुकानदारों को वैसे भी 22 प्रतिशत की छूट देता है। इसमें 18 फीसद जनरल छूट और चार फीसद नकद डिस्काउंट होता है। नेपाल में गीताप्रेस की लगभग एक करोड़ रुपये की किताबें प्रतिसाल नेपाल में बिकती हैं। गीता प्रेस के उत्पाद प्रबंधक लालमणि तिवारी ने बताया कि करीब एक महीने पहले नेपाल सरकार ने अचानक इंपोर्ट टैक्स बढ़ा दिया। इसके लिए हम लोग उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से मिले थे, उन्होंने नेपाल के राजदूत से इस संबंध में बात की है। उन्होंने कोई रास्ता निकालने का आश्वासन दिया है। जम्मू-कश्मीर में निवेश को बढ़ावा देगी सीआईआई श्री वेंकटेश्वर मंदिर में अमेरिकी कारोबारियों ने दान किए 14 करोड़ रुपए, लेकिन रखी ये शर्त पेट्रोल और डीजल की मूल्यों में आयी गिरावट,जानें नई कीमत