हमेशा से ही मोगली बच्चों का पसंदीदा किरदार रहा है। पर ये वाला मोगली बिल्कुल अलग है। ये ऐसा मोगली है जो बड़ों को ज्यादा समझ आता है।मुंबई में पैदा हुए जंगल बुक के लेखक रुडयार्ड किपलिंग के भीतर पहचान का अंतर्द्वद्व मोगली में साफ देखा जा सकता है। यह मोगली सिर्फ ऐसा बच्चा नहीं है जिसे भेडियों की एक टोली पाल लेती है। ये इस बात से परेशान है कि आखिर वह है क्या, भेडियों के साथ रहता है पर भेड़िया नहीं है। इंसानों के बीच रहकर भी देखता है लेकिन ये उसका संसार नहीं है। मानसिक स्थितियों की इस लड़ाई को एंडी सरकिस ने बहुत ही दमदार तरीके से बतौर डायरेक्टर अपनी इस दूसरी फिल्म में पेश किया है। फिल्म को हिंदी के अलावा दक्षिण की भाषाओं में भी डब किया गया है। आपको बता दे डिजनी की जंगल बुक से ये मोगली बिल्कुल अलग है। ये क्यूट नहीं है और साथ ही ये जीवन में संघर्ष करना जानता है। अपने ही गुरु बघीरा पर शक करता है। और, शेर खान से भिड़ने के लिए नए दोस्त भी तलाश लेता है। फिल्म में डिजनी की फिल्मों से अलग एक नया किरदार दिखता है, भूत। वह संघर्ष का साथी है और मोगली के किरदार का टर्निंग प्वाइंट भी। फिल्म में गायों को मारे जाने का जिक्र है। गाय को खान मारता है। ये स्टेटमेंट भी बहुत कुछ कहता है। इस फिल्म के कुछ दृश्य बहुत ही प्रभावशाली बन पड़े हैं। मोगली बने रोहन चांद का अभिनय इस फिल्म का सबसे बड़ा विनिंग प्वाइंट है। अगर आपके पास नेटफ्लिक्स का सब्सक्रिप्शन है तो ये फिल्म आपकी वन टाइम च्वाइस हो सकती है। हिंदी सिनेमा के कलाकारों की आवाजें फिल्म का बखूबी साथ देती हैं। रविवार को केदारनाथ ने की इतने करोड़ की कमाई संजय दत्त या अमिताभ बच्चन के नाम का सिंदूर लगाती हैं रेखा या करती हैं फैशन? दिशा पटानी के इस बेहद सेक्सी लुक को देखकर धड़का फैंस का दिल