नई दिल्ली: हमारे देश को अब तक रक्षा तंत्र को मज़बूत करने के लिए दूसरे देशों से सामन आयात करना पड़ता था. लेकिन अब भारत ने देश में ही इसका निर्माण करने का फैसला लिया है. इस नीति के तहत भारत सरकार देश में सैन्य उपकरणों के उत्पादन उद्योग को तो गति देना चाहती ही है, साथ ही सरकार ने अगले 10 वर्षों में भारत को दुनिया के 5 शीर्ष सैन्य उपकरण बनाने वाले देशों में भी शामिल करना चाहती है. अब सिगरेट की तरह गंगा-जल के लिए भी दिख सकती है चेतावनी अधिकारीयों ने बताया है कि योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है, जल्द ही इस मंजूरी के लिए कैबिनेट भेजा जाएगा. सूत्रों ने बताया कि डिफेंस प्रॉडक्शन पॉलिसी (DPP-2018) का फोकस सेना के लिए लड़ाकू विमानों, अटैक हेलिकॉप्टरों और हथियारों का देश में ही उत्पादन करने और इसके लिए आवश्यक तकनीक विकसित करने के लिए उचित संसाधनों के निवेश पर होगा, उन्होंने बताया कि DPP-2018 को अगले महीने जारी किया जा सकता है. चंदा के जाते ही 16 साल में पहली बार हुआ कारनामा, ICICI बैंक को 120 करोड़ का घाटा अधिकारीयों ने कहा कि इस योजना का उद्देश्य अधिकतर सैन्य उपकरणों का देश में ही उत्पादन करना है, जो पिछले 6 दशकों से दूसरे देशों से आयात किए जाते रहे हैं. आंकड़ों की मानें तो पिछले चार वर्षों में भारत ने कई सैन्य उपकरणों और हथियारों के लिए विदेशी और घरेलू कंपनियों के साथ 2.40 लाख करोड़ रुपये के 187 कॉन्ट्रैक्ट किए हैं, लेकिन इनमे से अधिकतर प्रोजेक्ट्स में देरी हुई है. अगर भारत सरकार की ये योजना लागू हो जाती है तो भारत में खुद के रक्षा उत्पादों का निर्माण होगा, साथ ही इससे रोज़गार के अवसर भी बढ़ेंगे. खबरें और भी:- यमुना का जलस्तर खतरे से ऊपर, बाढ़ की त्रासदी झेलेगी दिल्ली इंटरनेशनल टाइगर डे: बाघ भूखा भी हो, तो भी घास नहीं खाता International Tiger Day : कुछ रोचक बातें...जंगल की शान की पहचान