नये पैरेंट्स अक्सर कर देते ये गलतियां, पड़ सकती है भारी

नवीन माता-पिता अक्सर बच्चे की देखभाल को लेकर उलझन में रहते हैं। इसकी वजह है कि घर के बड़े-बुजुर्ग और आसपास के लोग कई तरह की सलाह देते हैं। आजकल इंटरनेट से भी आसानी से जानकारी प्राप्त की जा सकती है, लेकिन एक साथ मिली इन जानकारियों से समझना मुश्किल हो जाता है कि क्या सही है और क्या गलत। बेबी केयर से जुड़ी कई बातें हैं जिन पर डॉक्टर्स की राय अलग होती है। आइए जानते हैं कुछ सामान्य मिथकों के बारे में, जो आसपास के लोग सलाह देते हैं।

मिथक 1: काजल लगाने से बच्चे की आँखें बड़ी हो जाती हैं। वास्तविकता: इस विश्वास का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है कि काजल लगाने से बच्चे की आँखें बड़ी हो जाती हैं। बाल रोग विशेषज्ञ पुष्टि करते हैं कि आँखों का आकार आनुवंशिक रूप से निर्धारित होता है और काजल जैसे कॉस्मेटिक अनुप्रयोगों से अप्रभावित रहता है।

मिथक 2: दांत निकलने के तुरंत बाद ब्रश करना। वास्तविकता: दंत चिकित्सक बच्चे के तीन साल का होने के बाद टूथपेस्ट का उपयोग शुरू करने की सलाह देते हैं। इस उम्र से पहले, मौखिक स्वच्छता बनाए रखने के लिए नम ब्रश से दाँत साफ करना पर्याप्त होता है।

मिथक 3: वॉकर का उपयोग करने से बच्चे को तेज़ी से चलना सीखने में मदद मिलती है। वास्तविकता: डॉक्टर बचपन में वॉकर के इस्तेमाल को हतोत्साहित करते हैं क्योंकि इससे विकास संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। वॉकर अक्सर बच्चे की लंबाई से ज़्यादा होते हैं, जिससे बच्चे की मुद्रा गलत हो जाती है और स्वतंत्र रूप से चलने के कौशल में देरी हो सकती है।

मिथक 4: स्क्रीन पर बहुत ज़्यादा समय बिताने से बोलने का विकास धीमा हो जाता है। वास्तविकता: स्क्रीन के सामने ज़्यादा समय बिताने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, बल्कि छोटे बच्चों में संज्ञानात्मक विकास भी बाधित होता है। स्क्रीन पर समय सीमित करने से बेहतर संचार कौशल विकसित करने में मदद मिलती है।

मिथक 5: बचपन में ठोस खाद्य पदार्थ खिलाने से पोषण बढ़ता है। वास्तविकता: बाल चिकित्सा दिशा-निर्देश स्तनपान या फ़ॉर्मूला के साथ-साथ छह महीने के आसपास ठोस खाद्य पदार्थ खिलाने का सुझाव देते हैं। यह क्रमिक दृष्टिकोण संतुलित पोषण सुनिश्चित करता है और एलर्जी या पाचन समस्याओं के जोखिम को कम करता है।

इन मिथकों से निपटना माता-पिता के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। बाल रोग विशेषज्ञों और विश्वसनीय स्रोतों से सलाह लेना आपके बच्चे की भलाई के लिए सूचित निर्णय लेना सुनिश्चित करता है। याद रखें, हर बच्चा अलग होता है और उसकी देखभाल उसी के अनुसार की जानी चाहिए।

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