गर्भपात के लिए बने नए नियम

गर्भपात का मतलब है कि एक महिला के पेट में पल रहे बच्चे को गिराना। भारत में गर्भपात को नियंत्रित करने के लिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट, 1971 लागू है। इसके तहत, एक पंजीकृत डॉक्टर ही गर्भपात कर सकता है। यह तब किया जाता है जब गर्भवती महिला के मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को खतरा हो, या भ्रूण में गंभीर विकृति हो सकती हो।

भारत में गर्भपात के नियम

भारत में गर्भपात के नियम निम्नलिखित हैं:

डॉक्टर की मंजूरी: गर्भपात के लिए एक योग्य डॉक्टर की इजाजत आवश्यक है। यदि डॉक्टर को लगता है कि गर्भपात बच्चे या मां के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, तो अनुमति दी जा सकती है।

समयसीमा: गर्भपात की एक समयसीमा निर्धारित की गई है:

20 हफ्ते तक: यदि गर्भवती महिला 20 हफ्ते से कम समय से गर्भवती है, तो एक डॉक्टर की सलाह से गर्भपात करवाया जा सकता है। 20 से 24 हफ्ते तक: इस अवधि में गर्भपात के लिए दो डॉक्टरों की सलाह जरूरी है। यह नियम खासकर बलात्कार की शिकार महिलाएं, नाबालिग, या मानसिक और शारीरिक समस्याओं वाली महिलाओं के लिए है। 24 हफ्ते के बाद: इस समय के बाद गर्भपात केवल मेडिकल बोर्ड की मंजूरी से किया जा सकता है।

जापान में गर्भपात के नियम

जापान में भी गर्भपात कानूनी है, लेकिन इसके लिए पार्टनर की सहमति जरूरी होती है। जापानी महिलाओं को गर्भपात की गोली लेने से पहले अपने साथी की सहमति प्राप्त करनी होती है। इसका मतलब है कि अकेले गर्भपात की अनुमति नहीं मिलती; महिला और उसका पार्टनर दोनों को सहमत होना होता है। इसके बाद ही डॉक्टर गर्भपात की अनुमति देते हैं।

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