प्रतिबंध के बावजूद धधके ईंट-भट्ठे, एनजीटी ने लगाई फटकार

भारत सरकार द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये कई निर्देश दिए गए है. परन्तु इन सबके बावजूद कुछ क्षेत्रो में इन निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है. अभी के समय की यदि बात करे तो अभी एनसीआर में शामिल और उससे सटे आठ जिलों में प्रतिबन्ध के बावजूद ईंट-भट्ठे शुरू करने पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बहुत गुस्साएं हुए है. इतना ही नहीं, प्रदेश के मुख्य सचिव का 29 मार्च को जारी वह आदेश भी खारिज कर दिया गया है, जिसमें भट्ठे चलाने की मंजूरी दी गई थी. 

वही विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एनजीटी ने प्रदेश सरकार के रवैये पर सख्त नाराजगी व्यक्त करते हुए, 19 नवंबर 2019 को जारी अपने आदेश का हर हाल में पालन कराने के सख्त निर्देश दिए हैं. ऐसा न करने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है. प्रदूषण विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, शामली, मुजफ्फरनगर में करीब 2250 ईंट भट्ठे हैं. इनमें से लगभग 1100 ने ही पर्यावरण सहमति प्राप्त की है. 

इस मामले में शैलेश सिंह, राजवीर सिंह और विकास सिंह ने याचिकाएं दायर की थीं, जिन पर पिछले साल नवंबर में सुनवाई करते हुए एनजीटी ने एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण के गहराते संकट को बहुत गंभीर माना. ईंट भट्ठों पर रोक लगा दी. वहीं, पूरे प्रदेश की बात करें तो करीब 19 हजार ईंट भट्ठे हैं, जिनमें से केवल 8851 के पास ही पर्यावरण समिति है. यह जानते हुए भी मुख्य सचिव ने एनजीटी के आदेशों को दरकिनार कर एनसीआर समेत पूरे प्रदेश में ईंट भट्ठे खोले जाने का आदेश बीते दिनों दे दिया है. एनजीटी ने विशेषज्ञों की रिपोर्ट के आधार पर पहले निर्देश दिए थे, कि सभी ईंट-भट्ठे कोयले के ईंधन से चलें और सरकार पीएनजी गैस, कृषि अवशेष और ईंधन के अन्य विकल्पों-नई तकनीकों पर भी अध्ययन कराएं. साथ-साथ यह भी निर्देश दिए गए हैं कि दो ईंट-भट्ठों के बीच कम से कम 500 मीटर की दूरी अवश्य होनी चाहिए.

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