नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने गुरुवार को कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के पास पत्रों, अभ्यावेदन और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार है और पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर कार्यवाही आरंभ कर सकता है. न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर, हृषिकेश रॉय, और सी.टी. रविकुमार ने याचिकाओं के एक बैच पर फैसला दिया, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया था कि क्या NGT के पास स्वत: संज्ञान का अधिकार है. वरिष्ठ वकील संजय पारिख ने दलील दी थी कि NGT को पर्यावरण की बहाली के लिए आदेश पारित करने की शक्तियां प्रदान की गई हैं, इसलिए वह स्वत: संज्ञान शक्तियों का इस्तेमाल कर सकती है. हालांकि वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने उनकी दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि सिर्फ संवैधानिक अदालतें ही स्वत: शक्तियों का इस्तेमाल कर सकती हैं और NGT जैसे वैधानिक न्यायाधिकरण को अपने मूल कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा. केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुईं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलील देते हुए कहा कहा कि NGT के पास मामले का खुद संज्ञान लेने का अधिकार नहीं है, किन्तु उन्होंने यह भी तर्क दिया कि न्यायाधिकरण के अधिकारों को प्रक्रियात्मक बाधाओं से बाध्य नहीं किया जा सकता है. यूपी चुनाव से पहले भाजपा का बड़ा फैसला, वरुण और मेनका गांधी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से किया बाहर शुरुआती कारोबार में 500 अंक से ज्यादा चढ़ा सेंसेक्स, 17,800 के पार निफ्टी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 54 पैसे टूटकर 74.98 पर बंद हुआ रुपया