नई दिल्ली: देश के सभी सरकारी स्कूलों में एक जैसी यूनिफार्म होने की मांग करने वाली याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा है कि यह ऐसा मामला ही नहीं है, जिसे कोर्ट में लेकर जाया जाए। मगर, याची की तरफ से पेश वकील गौरव भाटिया ने कहा कि कोर्ट को इस मामले पर विचार करना चाहिए क्योंकि यह संवैधानिक मुद्दा है और अलग-अलग यूनिफार्म होना, राइट टू एजुकेशन ऐक्ट के विपरीत है। उन्होंने कहा है कि, 'यह संवैधानिक मामला है। कृपया पेज नंबर 58 पर देखें। स्टाफ और टीचर्ज के लिए एक जैसी यूनिफार्म की बात कही गई है। आप कोई भी आदेश दे सकते हैं। राइट टू एजुकेशन के तहत ड्रेस में एकरूपता होनी चाहिए और अनुशासन नज़र आना चाहिए।' हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनके तर्कों को खारिज कर दिया और कहा कि यह निर्धारित करना कोर्ट का काम नहीं है। इसके बाद याची ने अदालत से इजाजत लेकर याचिका को वापस ले लिया। याची निखिल उपाध्याय का कहना था कि कॉमन ड्रेस को़ लागू करने से सामाजिक एकता और समानता नज़र आएगी। बता दें कि स्कूलों एवं कॉलेजों में हिजाब को लेकर छिड़े विवाद को देखते हुए यह याचिका दाखिल की गई थी। इसे लेकर याचिका में कहा गया है कि, 'शैक्षणिक संस्थान सेकुलर कैरेक्टर वाले होते हैं। यहां ज्ञान, रोजगार की शिक्षा प्रदान की जाती है और लोगों को तैयार किया जाता है ताकि वे राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकें।' याची ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में धर्मों की आवश्यक अथवा अनावश्यक परंपराओं को निभाने से कोई औचित्य नहीं होता है। इसलिए यह आवश्यक है कि सभी स्कूलों और कॉलेजों में कॉमन ड्रेस कोड लागू किया जाए।' इतना ही नहीं याची ने दिलचस्प दलील देते हुए कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो कल को कोई नागा साधु भी कॉलेज में दाखिला ले सकता है और बगैर कपड़ों के लिए क्लास अटेंड करने के लिए पहुंच जाएगा। वह कहेगा कि यह तो उसका आवश्यक धार्मिक कर्तव्य है और पढ़ना भी उसका अधिकार है, वह ऐसे ही पढ़ेगा, तो क्या होगा ? याची का कहना था कि समान ड्रेस कोड रहने से किसी भी धर्म, जाति और क्षेत्र के लोग समानता का अनुभव करेंगे। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। भारत की 6 लाख एकड़ जमीन का मालिक है Waqf Board ! अब हिन्दुओं के 18 गाँवों पर हुआ कब्जा शराब घोटाला: देश के 40 स्थानों पर ED की रेड, भाजपा बोली- घोटाला करने के लिए ही लाइ गई थी पॉलिसी 'यूपी की तरह सर्वे नहीं होगा, अवैध मदरसों के खिलाफ सख्त करवाई होगी': हिमंत बिस्वा सरमा