नई दिल्ली : इन दिनों केरल में निपाह वायरस का खौफ अब भी बरकरार है . केरल में करीब 14 लोगों की जान लेने वाले इस निपाह वायरस का पहला मामला 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में सामने आया था. तब इस वायरस के 66 मामले सामने आए थे.जिनमें 45 लोगों की मौत हो गई थी. उल्लेखनीय है कि निपाह वायरस तेजी से उभर रहा है. 1998 में सबसे पहले मलेशिया के कंपंग सुंगाई निपाह से इसकी जानकारी मिली थी. इसी के कारण इस वायरस को निपाह नाम भी मिला था . बाद में 2004 में बांग्लादेश में फ्रूट बैट (फल खाने वाले चमगादड़) से यह वायरस फैल गया. चिंताजनक बात यह है कि अभी तक इस वायरस से बचाव के लिए कोई दवा-इंजेक्शन नहीं बना है. यह वायरस दिमाग को नुकसान पहुंचाता है . बता दें कि अब तक कहा जा रहा था, कि निपाह का वायरस चमगादड़ के कारण फैलता है , लेकिन अब भोपाल की उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला की जाँच में खुलासा हुआ है कि यह वायरस चमगादड़ के कारण नहीं फैला है. इससे यह रहस्य और गहरा गया है. चमगादड़ और सुअरों के 21 नमूने पिछले दिनों भोपाल की उच्च सुरक्षा पशु रोग प्रयोगशाला में भेजे गए थे.जिनका परीक्षण किए जाने पर नतीजे नकारात्मक आए हैं .मतलब यह वायरस चमगादड़ से नहीं फैलता है . उधर ,केरल में निपाह वायरस के बढ़ते मामलों से चिंतित इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने ऑस्ट्रेलिया की क्वीन्सलैंड सरकार को पत्र लिखकर एंटीबॉडी की मांग की है, ताकि भारत में इस पर रोक लगाई जा सके. यह भी देखें निपाह वाइरस, चमगादड़ और इस गांव की पशोपेश निपाह वायरस के कारण शूटिंग चैम्पियनशिप अब दिल्ली में होगी