नईदिल्ली। आपने नीरजा फिल्म तो देखी होगी। हकीकत में भी ऐसी एक लड़की हुई थी जिसने अपनी जान की चिंता नहीं की और लगभग 360 लोगों को बचाया। दरअसल 5 सितंबर 1986 को अपनी जिंदगी गंवाकर हाईजैक हो चुके प्लेन में मौजूद लोगों की जिंदगी बचाई उसका नाम था नीरजा भनोत। दरअसल नीरजा ने कुछ ऐसा किया जिसने उसे अमर बना दिया और मरणोपरांत भी अशोक चक्र से सम्मानित करवाया। जी हाॅं, 5 सिंतबर 1986 को यानी नीरजा के 23वें जन्मदिन से केवल 2 दिन पहले एक घटना हुई। दरअसल एएम की फ्लाईट 73 में सीनियर पर्सर थी, उक्त फ्लाईट मुंबई से अमेरिका की ओर जा रही थी। मगर पाकिस्तान के कराची विमानतल पर उसे 4 हथियारबंद लोगों ने अपहृत कर लिया। फ्लाईट में 360 यात्री और 19 क्रू मेंबर्स सवार थे। मगर प्लेन में कुछ आतंकी घुस आए। ये 4 आतंकी थे। आतंकियों के मौजूद होने की जानकारी मिलते ही पायलट, इंजीनियर वर अन्य कुछ सदस्य फ्लाईट छोड़कर भाग निकले। मगर नीरजा विमान में यात्रियों के साथ रह गई आतंकी चाहते थे कि फ्लाइट को साइप्रस ले जाया जाए जहां वो कैद फिलिस्तीनी कैदियों को मुक्त करवा सकें ये आतंकी अबू निदान ऑर्गेनाइजेशन के थे और अमेरिकीयों को नुकसान पहुंचा रहे थे। प्लेन हाईजैक करने के कुछ समय बाद उन्होंने एक अमेरिकी को प्लेन के गेट पर लाकर गोली मार दी। नीरजा बच्चों को गोली से बचाने की कोशिश कर रही थीं भारत सरकार ने इस काम के लिए नीरजा को बहादुरी के लिए सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया। नीरजा यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की महिला रहीं इतना ही नहीं नीरजा को पाकिस्तान सरकार की तरफ से तमगा-ए-इंसानियत और अमेरिकी सरकार की तरफ से जस्टिस फॉर क्राइम अवॉर्ड से भी नवाजा। भारत ने उन्हें अशोक चक्र प्रदान किया। निरजा के जीवन पर फिल्म तक बनी है। नीरजा ने विज्ञापन जगत में भी माॅडलिंग की। मगर अपने साहसिक कदम से वे जानी गईं। ताइक्वांडो नेशनल प्लेयर, जब करने लगा अपराध सांप छोड़कर दुकान से 13 तौला सोना किया गायब उत्तरप्रदेश में फिर सामने आई हाथ काट ने की वारदात आत्महत्या और हत्या की गुत्थी में उलझी पुलिस