भाजपा के लगातार बढ़ते प्रभाव ने शिव सेना और जेडीयू के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है. इन दिनों दोनों पार्टियां अपने आपको असुरक्षित मान रही हैं.शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार दोनों को एनडीए में रहना भारी पड़ रहा है . बता दें कि एक बीजेपी के साथ सत्ता में भागीदारी है तो दूसरी खुद बीजेपी के सहयोग से सरकार चला रही है .दोनों असमंजस में हैं. बता दें कि शिव सेना और जेडीयू दोनों असमंजस में है.हालाँकि शिवसेना तो बीजेपी के खिलाफ उतर आई है लेकिन , जदयू भी दुबारा बीजेपी से जुड़ने के बाद पशोपेश में है. आपसी रिश्तों का गड़बड़झाला है . 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार ने बीजेपी को हराने के लिए लालू प्रसाद यादव से हाथ मिला लिया था.लेकिन अब भाजपा की मदद से सरकार चला रही है. मतभेदों के बावजूद शिवसेना और जेडीयू दोनों दलों के पास अब एक ही रास्ता है कि वो या तो बीजेपी के अधीन काम करें और या फिर बीजेपी का मुकाबला करें.नीतीश के पास विकल्प कम हैं.नीतीश कभी भी अपने अकेले के दम पर सरकार नहीं बना सके हैं. उल्लेखनीय है कि पंजाब चुनाव के समय बीजेपी और कांग्रेस दोनों आम आदमी पार्टी को अपना दुश्मन मान रही थी , वही स्थिति अब महाराष्ट्र में बीजेपी की हो गई है जिससे एनसीपी, कांग्रेस, एमएनएस व शिवसेना को बीजेपी से खतरा लगने लगा है. इसलिए बीजेपी को रोकने के लिए ये पार्टियां एक साथ भी हो सकती है. राजा ठाकरे भी साथ दे सकते हैं . पालघर में हार के बाद शिवसेना में यह बात ज्यादा जोर पकड़ रही है .एंटी-बीजेपी फ्रंट से भाजपा भी महाराष्ट्र से आने वाले इस खतरे को भांप रही है. यह भी देखे छत्तीसगढ़ में भाजपा अपनाएगी त्रिपुरा फार्मूला कमलनाथ की चिट्ठी ने लगाई मप्र में सियासी आग