पटना : भले ही राजद के बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन कोई 11 वर्ष बाद जेल से छूटकर बाहर आ गये हो, लेकिन अब बिहार की नीतीश सरकार शहाबुद्दीन से छुटकारा चाहती है और इसके लिये सरकार सुप्रीम कोर्ट की भी शरण ले सकती है। जब से शहाबुद्दीन जेल से आजाद हुए है, नीतीश सरकार विवादों के घेरे में आ गई है। लिहाजा अब सरकार उनकी जमानत रद्द कराने पर विचार कर रही है। पिछले दिनों ही शहाबुद्दीन भागलपुर जेल से छुटकर बाहर आये है। उन्होंने बाहर आते ही जहां लालू प्रसाद यादव को सर्वमान्य नेता बताया था वहीं नीतीश कुमार को परिस्थितिवश मुख्यमंत्री भी करार दिया था। इसके बाद नीतीश कुमार ने यह कहा था कि शहाबुद्दीन क्या कहते है, उन्हें उससे सरोकार नहीं है। बावजूद इसके विपक्षी दल शहाबुद्दीन की रिहाई को लेकर नीतीश सरकार को घेरे हुये है। बीजेपी ने तो शहाबुद्दीन की रिहाई के लिये सीधे-सीधे नीतीश कुमार को ही दोषी ठहराया है। शहाबुद्दीन नीतीश सरकार के लिये विवाद का कारण बन गये है और अब हर हाल में नीतीश अपनी छबि को बचाने के लिये उनके खिलाफ कोई भी निर्णय ले सकते है। इधर शहाबुद्दीन को लेकर लालू प्रसाद यादव और नीतीश के बीच भी तनातनी होना शुरू हो गई है। लालू यह कह चुके है कि शहाबुद्दीन ने नीतीश के बारे में कुछ भी गलत नहीं कहा था।