नई दिल्ली: इस समय देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर भयंकर हंगामा मचा हुआ है और इसके कारण भड़की हिंसा ने दिल्ली में 40 से अधिक लोगों की जान ले ली है, वहीं राज्य सभा में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने गत पांच वर्षों के आंकड़े पेश कर खलबली मचा दी है। राय ने एक सवाल के लिखित जवाब में जानकारी दी है कि केंद्र सरकार ने बीते पांच वर्षों में 18 हजार 999 लोगों को भारत की नागरिकता प्रदान की है। इस जवाब के अनुसार वर्ष 2014 से लेकर 2019 के मध्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका और म्यांमार के कुल 18,999 नागरिकों को भारतीय नागरिक के रूप में मंजूरी दी गई है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय द्वारा पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार सरकार ने वर्ष 2015 में पांच पड़ोसी मुल्कों के सबसे ज्यादा 15,394 नागरिकों को भारत का नागरिक बनाया गया है। वर्ष 2015 में सरकार ने बांग्लादेश के 14,864 नागरिकों को मान्यता इंडो-बांग्लादेश लैंड बाउंड्री एग्रीमेंट पर दस्तखत करने के बाद दी। इन 14,864 बांग्लादेशी नागरिकों को नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा-7 के अंतर्गत भारत की नागरिकता प्रदान की गई। यदि सूची से वर्ष 2015 की इस संधि के आंकड़े हटा दें, तो 2014 से लेकर 2019 तक प्रतिवर्ष भारतीय नागरिकता पाने वालों की संख्या अप्रत्याशित रूप से बहुत अधिक नहीं बढ़ी। वर्ष 2014 में इन पांचों पड़ोसी देशों के कुल 544 नागरिकों को भारत का सिटिजन बनाने की मंजूरी दी गई। जबकि 2015 में बगैर संधि वाले मामलों की तादाद 530 थी। इसके बाद वर्ष 2016 में 988, 2017 में 677, 2018 में 511 और 2019 में 885 पड़ोसी मुल्कों के नागरिकों को भारतीय बनाया गया। प्रवासियों और शरणार्थियों को लेकर यूएन ने पेश की चौंकाने वाली रिपोर्ट 7 महीने के निचले स्तर पर पहुंचे पेट्रोल के दाम, डीजल के भाव में भी बड़ी गिरावट त्रिपुरा : दिल्ली हिंसा को लेकर इस पार्टी ने निकाला विरोध मार्च