पटना: बिहार में पशु बलि की प्रथा को लेकर चल रहे हंगामे के बीच केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने हिंदुओं से केवल झटका मांस खाने और 'हलाल' मांस खाना बंद करने का आग्रह किया है। गौरतलब है कि झटका की प्रक्रिया के जरिए ब्लेड के एक ही वार से जानवर के मांस को मार दिया जाता है, जबकि हलाल में धीरे-धीरे गर्दन पर छुरी चलाकर जानवर को मारने की व्यवस्था है। 'झटका' प्रक्रिया के समर्थकों का कहना है कि, इसमें जानवर को कम दर्द होता है और ये हिन्दुओं-सिखों की पुरानी परंपरा है। जबकि, हलाल में अल्लाह का नाम लेकर जानवर को मारा जाता है, जिससे उस मांस को कहीं दूसरे देवस्थान पर भोग नहीं लगाया जा सकता। वहीं, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के युवाओं को यह प्रतिज्ञा भी दिलाई कि वे केवल झटका मांस ही लेंगे, क्योंकि यह भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि बिहार के दरभंगा जिले में स्थित श्याम काली मंदिर में लंबे समय से पशु बलि की परंपरा रही है। साथ ही मंदिर में पूजा-अर्चना तांत्रिक विधि से की जाती है। यह मिथिला क्षेत्र का सबसे बड़ा धार्मिक महत्व का मंदिर है। इससे पहले बिहार राज्य धार्मिक ट्रस्ट ने मंदिर में पशु बलि की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसका व्यापक विरोध हो रहा है। गिरिराज सिंह ने यह भी खुलासा किया कि वह इन दिनों मांस नहीं खा रहे हैं, क्योंकि उन्हें झटका मांस नहीं मिल रहा है। केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर JDU प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने उन पर निशाना साधते हुए कहा है कि गिरिराज सिंह 'झटका' विवाद से चिंतित हैं, लेकिन INDIA गठबंधन चौथी बार मीटिंग कर रहा है और भाजपा को 'झटका' लगेगा। वहीं, RJD नेता मृत्युंजय तिवारी ने भी कहा है कि देश में आम चुनाव करीब आने पर केवल भाजपा को 'झटके' की चिंता होगी। गिरिराज सिंह के समर्थन में आते हुए, भाजपा नेता प्रभाकर मिश्रा ने पूछा कि क्या हाल ही में मटन पार्टी आयोजित करने वाले JDU नेता ललन सिंह ने 'झटका' मांस या 'हलाल' मांस खाया था। आतंकवाद पर शिकंजा ! दक्षिण भारत में जिहादियों के 19 ठिकानों पर NIA की रेड, तलाशी जारी 'देश के लिए दान दीजिए..' लोकसभा चुनाव के लिए जनता से चंदा मांग रही कांग्रेस, 138 रुपए के लिए घर-घर जाएंगे कार्यकर्ता ! काशी में खुला दुनिया का सबसे बड़ा योग केंद्र, पीएम मोदी ने किया 'स्वर्वेद मंदिर' का उद्घाटन, पूजा की जगह 'ध्यान' पर रहेगा जोर