कोलकाता: कोलकाता की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के आरोपी संजय रॉय का नार्को परीक्षण कराने की अनुमति मांगी थी। सीबीआई, जो इस मामले की जांच कर रही है, ने इस जघन्य अपराध से संबंधित जानकारी जुटाने के उद्देश्य से नार्को टेस्ट की अनुमति अदालत से चाही थी, लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया। नार्को परीक्षण, जिसे नार्कोएनालिसिस के नाम से भी जाना जाता है, एक वैज्ञानिक जांच तकनीक है, जिसका उपयोग किसी संदिग्ध से जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसमें व्यक्ति को एक विशेष प्रकार की दवा, आमतौर पर सोडियम पेंटोथल, दी जाती है, जिसे "सत्य सीरम" के रूप में भी जाना जाता है। यह दवा व्यक्ति को अर्धचेतन अवस्था में लाकर उसकी आत्म-चेतना को कम करती है, जिससे वह स्वतः अधिक खुलकर बोलने लगता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह होता है कि व्यक्ति से सच का खुलासा आसानी से हो सके, क्योंकि इस स्थिति में वह मानसिक रूप से अधिक स्वतंत्र होता है और बिना किसी संकोच या दबाव के जवाब देता है। हालांकि, इस मामले में अदालत ने नार्को टेस्ट की अनुमति नहीं दी, जिससे जांच के लिए सीबीआई को अन्य साधनों का सहारा लेना पड़ेगा। इस प्रकार के मामलों में अक्सर जांच एजेंसियां यह परीक्षण कराने की कोशिश करती हैं ताकि वे आरोपी से जुड़ी सटीक और स्पष्ट जानकारी प्राप्त कर सकें। लेकिन अदालतों में इसकी वैधता और प्रभावशीलता को लेकर अक्सर संदेह बना रहता है, जिससे कई बार इस परीक्षण की अनुमति नहीं मिलती है। संजय रॉय पर लगे बलात्कार और हत्या के गंभीर आरोपों के बीच यह मामला अब अधिक संवेदनशील और जटिल होता जा रहा है। 'बाहरी लोगों के कारण चलना मुश्किल..', मस्जिद विवाद के बीच क्या करना चाह रही कांग्रेस? भ्रष्टाचार, तुष्टिकरण और घुसपैठ..! क्या सोरेन सरकार को ले डूबेंगे ये 3 अहम मुद्दे ? कोलकाता कांड पर ममता का नया दांव, 13 साल में पहली बार दिखा ऐसा अंदाज़