नई दिल्ली: भारत सरकार ने कहा है कि उद्योगपति गौतम अडानी के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों में किसी अमेरिकी अधिकारी से कोई अनुरोध नहीं मिला है। यह बयान अमेरिका में अडानी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की खबरों के बीच आया। विदेश मंत्रालय (MEA) ने स्पष्ट किया कि यह मामला निजी फर्मों और व्यक्तियों से जुड़ा है, जिसमें भारत सरकार की कोई भूमिका नहीं है। मंत्रालय ने कहा कि कानूनी मामलों में तय प्रक्रियाओं और कानून का पालन किया जाएगा। भारत में किसी भी कानूनी कार्रवाई के लिए अमेरिकी अधिकारियों को गृह मंत्रालय को सूचित करना होता है। इसके बाद ही गृह मंत्रालय संघीय एजेंसियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दे सकता है। अडानी के खिलाफ अमेरिका में लगाए गए आरोपों में भारत में सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट हासिल करने के लिए रिश्वत देना और निवेशकों को गलत वित्तीय जानकारी देकर गुमराह करना शामिल है। अमेरिका अगर अडानी को जांच के लिए बुलाना चाहे, तो भारत-अमेरिका प्रत्यर्पण संधि का सहारा लेना होगा। इस प्रक्रिया के तहत अमेरिका को यह साबित करना होगा कि आरोप उनके कानून का उल्लंघन करते हैं और उनके क्षेत्राधिकार पर असर डालते हैं। न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में अडानी की कंपनी पर आरोप लगाया गया है कि 2020 से 2024 के बीच अडानी ग्रीन और एज्योर पावर ग्लोबल को सोलर प्रोजेक्ट दिलाने के लिए भारतीय अधिकारियों को लगभग 2236 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई। इस बात को अमेरिकी कंपनी एज्योर पावर ग्लोबल से भी छुपाया गया। इन प्रोजेक्ट्स के जरिए 20 साल में दो अरब डॉलर से अधिक का मुनाफा कमाने की योजना थी। अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे पूरी तरह से निराधार हैं। समूह ने कहा कि उनके सभी फैसले कानून के तहत ही लिए जाते हैं और वे हर जांच में सहयोग करने को तैयार हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने की तैयारी, मोदी कैबिनेट ने मंजूर किए 3296 करोड़ के प्रोजेक्ट्स महाराष्ट्र: ओवरटेक के चक्कर में जा भिड़ी बस, 9 लोगों की दुखद मौत, 25 घायल नक्सली इलाका, TMC नेता और घर में परमाणु रसायन, एक ग्राम की कीमत 17 करोड़..