भगवान की याद से बढ़कर कोई पुण्य नहीं

भगवान को याद करना न केवल पुण्यदायी माना गया है वहीं भगवान का स्मरण करने से ईश्वर की कृपा भी मिलती है। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि आप सुबह शाम बैठकर पूजन पाठ करें, यदि आपने ईश्वर का स्मरण ही कर लिया तो समझो बेड़ा पार हो जाएगा।

-पाप का फल जो करने वाले को होता है, वही प्रायः उनको प्रकट करने वाले को होता है, इसीलिए दूसरे के पापों को प्रकट न करें।

-भगवान के प्रेम की यह पहचान है कि वह अपनने भगवान के लिए सदैव व्याकुल बना रहता है।

-मन की तरंगों को रोकने में बड़ा आनंद है। इस आनंद का अनुभव नहीं हुआ, इसलिए मनुष्य विषयों के आनंद के पीछे भटकता है।

-प्रभु कहते है कि जो नीच से नीच मनुष्य की सेवा करता है, वह मेरी सेवा करता है, इसलिए सेवा को अपना धर्म बना लेने की जरूरत है।

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