नई दिल्लीः अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार के लिए चुने गए अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने देश के बैंकिंग संकट को लेकर चिंता प्रकट की । इसी के साथ ही उन्होंने सरकार को कुछ अहम सुझाव भी दिए। बनर्जी ने कहा कि बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 50 फीसद से नीचे लाया जाना चाहिए, साथ ही उन्होंने कुछ आक्रमक बदलाव करने को लेकर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि संकट से निकलने के लिए महत्वपूर्ण और आक्रमक बदलाव लाना होगा। नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी का कहना है कि बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 50 फीसद से कम होने पर केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की आशंका के बिना निर्णय करने में आसानी होगी। बीते पांच साल से देश के बैंकों में उच्च मात्रा में कर्ज की समस्या बढ़ गई है। जिस वजह से बैंकों का नेटवर्थ कम होने लगा है। यही नहीं पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी (पीएमसी) का मामला सामने आने के बाद ये समस्या और बड़ी हो रही है। दरअसल अगस्त में केंद्रीय सतर्कता आयोग ने पूर्व सतर्कता आयुक्त टी. एम. भसीन की अध्यक्षता में बैंक धोखाधड़ी के लिए परामर्श बोर्ड का गठन किया। बोर्ड का काम 50 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक धोखाधड़ी की जांच करना और कार्रवाई के बारे में सुझाव देना है। पिछले दिनों भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है। उन्होंने कहा फिलहाल नहीं लगता कि अर्थव्यवस्था जल्द सुधरेगी। अभिजीत बनर्जी से मुलाकात के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी एक ट्वीट किया। पीएम मोदी ने लिखा, 'नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ मुलाकात शानदार रही। मानव सशक्तीकरण के प्रति उनका जुनून साफ दिखता है। हमने विभिन्न विषयों पर अच्छी बातचीत की। देश को अभिजीत बनर्जी उनकी उपलब्धियों पर गर्व है। उनके भविष्य के प्रयासों के लिए उन्हें शुभकामनाएं।' बता दें कि इससे पहले अभिजीत बनर्जी पर कई बीजेपी नेताओं ने उनके वामपंथी सोच को लेकर हमला भी किया था। सरकार ने अमेजन और फ्लिपकार्ट से मांगी रिपोर्ट, एफडीआई को लेकर पूछे सवाल अगले माह कर्ज के तले दबी एयर इंडिया के लिए लगेगी बोली ट्राई की आईयूसी समीक्षा गरीब विरोधी, जियो का बयान