'मुस्लिम धर्म से नहीं, इसलिए आपसी समझौते से नहीं हो सकता है ‘तलाक’', याचिका की सुनवाई के दौरान बोला HC

भोपाल: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा है कि अलगाव समझौते की कोई कानूनी मान्यता नहीं है। यह याचिका एक पत्नी के द्वारा लगाए गए आरोपों को रद्द करने के लिए दायर की गई है, लिहाजा अलगाव समझौता करने भर से तलाक की प्रक्रिया पूरी नहीं होती।

दरअसल, गुजरात के बड़ौदा निवासी एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी द्वारा दर्ज कराए गए दहेज प्रताड़ना के मामले को चुनौती देते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में दस्तक दी थी। जिसमें उसने दलील दी कि उसकी शादी 21 अप्रैल 2022 को हुई थी किन्तु कुछ वक़्त पश्चात् ही आपसी समझौते पर पति-पत्नी में अलगाव हो गया। तत्पश्चात, पत्नी वापस अपने मायके लौटी एवं पुलिस में दहेज प्रताड़ना 498ए के तहत पति और ससुराल पक्ष के लोगों पर मुकदमा दर्ज करा दिया। अपने खिलाफ मुकदमा दर्ज होने के पश्चात् ससुराल पक्ष ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का रुख किया।

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय में सुनवाई के चलते जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने कहा है कि दोनों पक्ष मुस्लिम धर्म से नहीं है, इसलिए आपसी सहमति से तलाक नहीं हो सकता। यह भी चिंता का विषय है कि नोटरी इस प्रकार के समझौते को प्रमाणित नहीं कर सकता। नोटरी के किए अलगाव के समझौते के आधार पर तलाक को मंजूरी नहीं दी जा सकती। इस पूरे मामले पर अदालत ने सेपरेशन एग्रीमेंट की कानूनी मान्यता का भी जिक्र किया। अदालत ने इस बात को भी स्पष्ट किया है कि यदि तलाक हो भी जाए तो तलाक से पहले की गई क्रूरता के संबंध में IPC की धारा 498ए के तहत मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की शरण में पहुंचे पति ने मामले को रद्द करने की मांग करते हुए यह भी कहा है की पत्नी ने पहले ही अंडरटेकिंग दी है कि वह उस पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं करेगी उसके बाद भी उसने पुलिस में दहेज प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज कर दिया।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा है कि इस प्रकार का कोई भी समझौता कॉन्ट्रैक्ट एक्ट के सेक्शन 28 के उलट है। कोई भी अनुबंध जो किसी पक्ष को कानूनी कार्रवाई करने से रोकता है उसको कोई मान्यता नहीं दी जा सकती। इस मामले में पत्नी की तरफ से पुलिस में दर्ज शिकायत में बताया गया है कि उसकी शादी 21 अप्रैल 2022 को हुई थी तथा शादी के तत्काल बाद से ही ससुराल पक्ष के द्वारा उसे निरंतर प्रताड़ित किया जा रहा था। अधिक दहेज लाने के लिए न सिर्फ उसके साथ मारपीट की जाती थी बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया जा रहा था तत्पश्चात, महिला ने पुलिस में FIR दर्ज करवा कर न्याय की गुहार लगाई है।

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