उपभोक्ता लाख गुजारिश करें, लेकिन पेट्रोल -डीजल जैसे ईंधन को निकट भविष्य में जीएसटी के दायरे में लाने की संभावना नहीं दिख रही है , क्योंकि इससे राज्यों को हो रही तगड़ी कमाई को देखते हुए देश के अधिकांश राज्यों ने पेट्रोल डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के प्रति अनिच्छा जताई है . यह बात वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कही . उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार बताया कि राज्य इस समय पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करने के पक्ष में नहीं हैं. इस तरह उन्होंने पेट्रोलियम उत्पादों को तत्कालजीएसटी के दायरे में लाए जाने की संभावना को एक तरह से खारिज ही कर दिया. इसका मतलब यही है कि पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और वैट जैसे शुल्क लगते रहेंगे. गौरतलब है कि गत 1 जुलाई को जब देश में जीएसटी लागू किया गया था तब रियल एस्टेट के साथ-साथ कच्चा तेल, विमान ईंधन (एटीएफ), प्राकृतिक गैस, डीजल और पेट्रोल को इसके दायरे से बाहर रखा गया था . इस वर्ग को जीएसटी में लाने की मांग जब -तब उठती रही लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया.अब वित्त मंत्री के इस खुलासे के बाद उपभोक्ताओं की यह आस भी टूट गई है.हालाँकि जेटली ने भरोसा दिलाया है कि जीएसटी अनुभव को देखते हुए प्राकृतिक गैस, रीयल एस्टेट को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा. यह भी देखें गिरावट के दौर से बाहर नहीं आया बाज़ार पैडमैन ने पैड सस्‍ते करने की मांग की