बरेली: पिछले कई दिनों से सीएए और एनपीआर के खिलाफ देश भर में गरमाए माहौल के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने मुसलमानों समेत सभी पंथ-संप्रदायों के साथ भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की संकल्पना प्रस्तुत किया है. जंहा उन्होंने यह भी साफ किया कि संघ जाति-धर्म, भाषा और प्रांत के आधार पर कोई भेदभाव किए बगैर उन सभी को हिंदू मानता है जो भारत में रह रहे हैं और जिनके पूर्वज हिंदू थे. रुहेलखंड विश्वविद्यालय के स्टेडियम में ‘भविष्य का भारत: सूत्रों से मिली जानकारी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ पर व्याख्यान देते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि 1857 में स्वतंत्रता आंदोलन शुरू होने के बाद अनेक महापुरुषों ने भविष्य के ऐसे ही भारत की कल्पना की थी. शब्दों का फर्क जरूर हो सकता है लेकिन संघ की कल्पना उससे रत्ती भर भी अलग नहीं है. वहीं यह भी कहा जा रहा है कि देश के संविधान में भी यही भावना है. संघ प्रमुख ने भारत के संदर्भ में अनेकता में एकता के सिद्धांत से अलग एकता की विविधता का तर्क देते हुए कहा कि देश की इसी संस्कृति का नाम हिंदू है जिसे अनेक पंथों के साथ आस्तिक-नास्तिक सभी लोगों ने अपनाया है. वहीं भारत न सिर्फ एक नाम है न जमीन का टुकड़ा है. जंहा भारत एक प्रवृत्ति और स्वभाव है जो बदलता है तो पाकिस्तान बन जाता है. आपकी जानकरी के लिए हम आपको बता दें सरसंघचालक ने कहा कि संघ की शाखाओं में सभी पूजा पद्धतियों के लोग आते हैं. इनमें मुसलमान भी हैं. संघ उन्हें भी हिंदू मानता है और कभी इसका ढिंढोरा नहीं पीटता. जंहा अगर कोई कहता है कि वह हिंदू नहीं है तब भी संघ की सद्भावना उसके प्रति रहती है. चीन में नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं म्यांमार की महिलाएं, होता है ऐसा हश्र आग लगने के बाद ऑस्ट्रेलिया का बिगड़ा स्वरुप, अब रूप वापस पाने में लगेगा 100 वर्ष से अधिक समय दिल्ली विधानसभा चुनाव: आज नामांकन दाखिल करेंगे केजरीवाल, इस सीट से तीसरी बार लड़ेंगे चुनाव