जयपुर : अगले कुछ ही सालों में नकदी देने वाली एटीएम जैसी मशीन किसी काम की नहीं रह जाएगी. यह कहना है देश के शीर्ष अधिकारियों का.दरअसल अधिकारियों में यह विश्वास देश में मोबाइल फोन से अब बहुत अधिक हो रहे लेनदेन की वजह से जगा है.जबकि कुछ जानकारों का कहना है कि इतने कम समय में ऐसा होना संभव नहीं है, क्योंकि इसके लिए आधारभूत ढांचा अभी नहीं है. गौरतलब है कि ये दोनों पहलू जयपुर में चल रहे साहित्य महोत्सव में 'ब्रेव न्यू वर्ल्ड: द वर्चुअल इकोनॉमी एंड बिआंड' शीर्षक से हुई चर्चा में यह तर्क सामने आए .नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने इस चर्चा में कहा कि डिटिजल अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ने के अगले तीन साल में देश में एटीएम किसी काम के नहीं रह जाएंगे, यह अपनी प्रासंगिकता खो देंगे.जबकि चर्चा में शामिल अन्य लोग नकदीरहित अर्थव्यवस्था की तरफ इतनी तेजी से बढ़ने को लेकर कम आश्वस्त दिखे. जबकि सूचना एवं प्रौद्योगिकी सचिव अरुणा सुंदरराजन ने केन्या का हवाला देते हुए कहा कि केन्या में कम बैंक हैं और प्रौद्योगिकी भी विशेष उन्नत नहीं है, फिर भी वहां 50-60 फीसदी वित्तीय लेनदेन फोन पर हो रहा है. देश में अगले साल एक बार जब चार बड़ी संचार कंपनियां डिजिटल बैंकिंग की तरफ पूरी तरह खिंच आएंगी तब नकदीरहित अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिलेगी. वहीं बैंकर और एंबिट होल्डिंग्स के सीईओ अशोक वाधवा ने कहा कि निश्चित ही डिजिटल अर्थव्यवस्था को ही अपनाया जाना है, लेकिन देश को नकदीरहित अर्थव्यवस्था बनने में समय लगेगा. अब एटीएम की सुविधा से भी लैस होगा INS विक्रमादित्य एटीएम से निकला दो हजार का नकली नोट