मुंबई. जीएसटी के आने के बाद कई बिजनेस की रौनक खत्म सी हो गई है. जीएसटी से एसयूवी कारों की कीमतें घटी थी और नॉर्मल कारों की कीमतें बढ़ गई थी. जिसके बाद सेस बढ़ने से यह कीमतें और प्रभावित हो गई. ये तो रही नई कारों की बात, सेकंड हैंड कारे भी इससे अछूती नहीं रही है. एक रिपोर्ट में इस बारे में बताया गया है कि जीएसटी और बीएस-4 नियम के साथ-साथ नोटबंदी ने पुरानी कारों के घरेलू बाजार की रौनक को खत्म कर दिया है. यह भी बताया जा रहा है कि इन आर्थिक सुधारों से आगे जाकर लॉन्ग टर्म में इस सेक्टर को फायदा होगा. व्हीकल्स की कीमतों से संबंधित रिसर्च प्लैटफॉर्म इंडियन ब्लूबुक ने अपनी एक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि इस सेक्टर में बढ़ोतरी दर बीते वित्त वर्ष में 6 प्रतिशत रही, जिसके अब 15 प्रतिशत रहने का अनुमान था. नोटबंदी और जीएसटी के कारण बीते एक साल में मार्केट को बहुत बड़े झटके मिले. पुरानी कारों का घरेलू मार्केट 36 लाख यूनिट का है. जल्द ही इस पर दूसरी रिपोर्ट भी जारी हो सकती है. इस बारे में महिंद्रा के सीईओ नगेन्द्र पल्ले ने कहा कि इन अल्पकालिक झटकों के मिलने के बाद हमे यकीन है कि लम्बे समय के लिए बिजनेस को आगे फायदा होगा. ये भी पढ़े सेस बढ़ने से टोयोटा गाड़ियों की कीमतें बढ़ी भारत में लॉन्च हो सकती है 800CC इंजन के साथ डुकाटी स्क्रैम्ब्लर ये 7 कंपनियां ऑटो एक्सपो 2018 में हिस्सा नहीं लेंगी पढिये भारत में आने वाली नई बाइक और कार के विशेषताओ के बारे में और जानिए कौनसी बाइक और कार है बेस्ट आपके लिए?