एक तरफ जहां देश का किसान अपनी मांगों को लेकर विधानसभा का घेराव करने पर आमादा हैं वहीं दूसरी ओर नई पेंशन नीति, न्यूनतम मजदूरी और रेलवे के निजीकरण के खिलाफ रेलकर्मी मंगलवार को संसद का घेराव करने कि तैयारी कर चुके हैं. रेल यूनियन का दावा है कि इसमें देशभर से करीब 50 हज़ार रेलकर्मी हिस्सा लेंगे. इस आंदोलन का कारण बताते हुए रेलकर्मियों ने आरोप लगाए है कि 2004 में पिछली एनडीए सरकार ने नई पेंशन नीति लागू की और उसके बाद से एक ही संस्थान में एक ही पद पर नौकरी कर रहे लोगों के साथ भेदभाव हो गया. ऑल इंडिया रेल मेन्स फेडरेशन का कहना है कि जनवरी 2004 के बाद से 5 लाख लोगों ने रेलवे में नौकरी जॉइन की है और उन्हें कोई पेंशन नहीं मिलेगी जबकि भारत सरकार की नौकरी में ऐसे कुल 11 लाख लोग हैं. इसके अलावा रेल कर्मी न्यूनतम वेतन को लागू करने और रेलवे को धीरे धीरे निजीकरण की ओर ले जाने का भी विरोध कर रहे हैं. कर्मचारियों का कहना है कि उनका मकसद फिलहाल रेल सेवा को प्रभावित करने का नहीं है लेकिन सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो रेल का चक्का जाम भी किया जाएगा. पूनम महाजन ने किसानों को माओवादियों से प्रभावित बताया किसान आंदोलन: डब्बावाला ने दिया अन्नदाता को भोजन किसान नेता सीएम से मिले, चर्चा जारी है