लखनऊ: यूपी के रामपुर जिले में एक बार फिर एक ट्रेन को पलटने की कोशिश की गई। काठगोदाम-देहरादून एक्सप्रेस ट्रेन को डिरेल करने के लिए रेलवे ट्रैक पर सात मीटर लंबा बिजली का खंभा रख दिया गया था। सौभाग्य से, ट्रेन के लोको पायलट ने दूर से ही खंभा देख लिया और तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक लिया। मामले की जानकारी मिलने के बाद हड़कंप मच गया। खंभे को ट्रैक से हटा दिया गया और ट्रेन को फिर से रवाना कर दिया गया। पुलिस और जीआरपी के अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे और मामले की जांच शुरू की। पुलिस अधीक्षक और जीआरपी एसपी ने घटनास्थल का निरीक्षण किया। यह घटना गाजीपुर और कानपुर में हुईं इसी तरह की घटनाओं के बाद सामने आई है। गाजीपुर में लकड़ी का बोटा ट्रैक पर रखा गया था, जबकि कानपुर में सिलेंडर और पेट्रोल भरी बोतलें रखी गई थीं। रुद्रपुर बॉर्डर पर भी बुधवार रात रेलवे ट्रैक पर एक भारी लोहे का खंभा रखा गया था। ट्रेन के लोको पायलट ने खंभा देखे जाने के बाद ट्रेन को रुकवा लिया और अधिकारियों को सूचित किया। ट्रेन को रुद्रपुर रेलवे स्टेशन पर पहुंचने में 10 मिनट की देरी हुई, और तब जाकर स्थिति की जानकारी दी गई। पुलिस अधीक्षक विद्या किशोर मिश्र और जीआरपी एसपी ने मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया और पुलिस को शरारती तत्वों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए। ट्रेन दुर्घटना: हादसा या साजिश? हालांकि, यह ट्रेन दुर्घटना करवाने की साजिश वाली पहली घटना नहीं है। पिछले कुछ समय में कई बार ट्रेनों को पटरी से उतारने की कोशिशें की गई हैं। इसी तरह की एक घटना 17 अगस्त 2024 को कानपुर में हुई थी, जिसमें साबरमती एक्सप्रेस के 17 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। इसके अलावा, राजस्थान और अलीगढ़ में भी रेलवे ट्रैक पर खतरनाक वस्तुएं रखी गई थीं। अलीगढ़ में भी पटरी पर मोटरसाइकिल के स्क्रेप रखे गए थे, इस मामले में अफ़सान नामक आरोपी गिरफ्तार किया गया था। वहीं, केरल में रेलवे की सिग्नल केबल चुराने में भी मुनव्वर और अब्बास को गिरफ्तार किया गया था, जिससे कई ट्रेनें प्रभावित हुईं थीं। बंगाल में भी किसी ने रेलवे सिग्नल में अख़बार फंसा दिया था। ये सिग्नल बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, जिससे लोको पायलट को पता चलता है कि ट्रैक खाली है या नहीं ? वरना ट्रेनों की आमने-सामने की भिड़ंत हो सकती है। इन तमाम घटनाओं का संबंध कहीं न कहीं पाकिस्तान स्थित आतंकी फरहतुल्लाह गोरी से भी जुड़ रहा है, जो भारत में स्लीपर सेल्स के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमले की साजिश रच रहा है। गोरी ने भारतीय एजेंसियों को चकमा देकर अपने गुर्गों यानी कट्टरपंथियों से प्रेशर कुकर बम जैसी चीजों से धमाके करने और ट्रेन पलटाने के लिए कहा है, ताकि सरकार को उखाड़ा जा सके। इसके पीछे का मकसद देश में अव्यवस्था फैलाकर जनता को भड़काना है। यहां बड़ा सवाल उठता है कि क्या ये साजिशें किसी बड़े सरकार विरोधी अभियान का हिस्सा हैं, ताकि किसी भी तरह देश की स्थिति को अस्थिर किया जा सके? कई विपक्षी नेता भी पहले से देश में बांग्लादेश जैसी स्थिति बनने की धमकी दे रहे हैं, लेकिन इन साजिशों पर उनकी चुप्पी गंभीर सवाल खड़े करती है। ट्रेन बेपटरी होने पर राजनीति गरम हो जाती है, लेकिन जांच की मांग के बजाय, कुछ नेता इसे अपने सियासी एजेंडे का हिस्सा बना लेते हैं। यह समय राजनीति से ऊपर उठकर देखने का है। यह खतरा सिर्फ सरकार या सत्ता के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए है, और इसमें विपक्ष के नेता भी इस साजिश के शिकार हो सकते हैं। कट्टरपंथियों और देश विरोधी तत्वों द्वारा रची जा रही इन साजिशों के खिलाफ सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होना चाहिए, ताकि इस खतरे का सामना पूरी दृढ़ता से किया जा सके। आखिर क्या है दरबार मूव ? 150 साल पहले शुरू हुआ, अब चाहते हैं अब्दुल्ला दलितों ने जला डाले दलितों के 80 घर..! जाँच-कार्रवाई की बजाए 'जातिवाद' क्यों बना मुद्दा 'तिरुपति बालाजी के प्रसाद में मिलाई जाती थी चर्बी..', आंध्र में नया सियासी तूफ़ान