नई दिल्ली: यदि आप अनाथ बच्चे (Child Adoption) को गोद लेना चाह रहे हैं तो यह खबर आपके लिए एकदम सही है। अब बच्चा गोद लेना आसान (Adoption Process) होगा। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास बच्चा गोद लेने के नियम में परिवर्तन करने की योजना बना रही है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास ‘मिशन शक्ति’ के तहत इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम (Integrated Child Protection Scheme) में बदलाव करने का फैसला भी कर लिया है। नियम में परिवर्तन करने के उपरांत एक माह में ही बच्चा गोद लेने की प्रक्रिया पूरी को पूरा कर लिया है। साथ ही नए नियम में कलेक्टर और SDM को लेने के आदेश देने का अधिकार भी जारी कर दिया जाने वाला है। साथ ही बच्चों के लिए चल रहे प्राइवेट और सरकारी शेल्टर होम में मनोवैज्ञानिक काउंसलर रखना जरुरी होगा। खबरों का कहना है कि अभी तक केंद्रीय दत्तक ग्रहण प्राधिकरण के माध्यम से बच्चों को गोद दे दिया जाता है। पिछले कुछ सालों से बच्चे को गोद लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य किया जा चुका है। बावजूद इसके बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया पूरी करने में एक से 2 वर्ष का समय लग जाता है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास के संशोधन में मंजूरी के उपरांत यह प्रक्रिया और अब आसान बन जाएगी। यदि आप बच्चा गोद लेना लेने के बारें में सोच रहे है आपको सेंट्रल अडाप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (कारा) की वेबसाइट cara.nic.in पर रजिस्ट्रेशन करना जरुरी है। जिसके उपरांत कारा बच्चों की उपलब्धता के आधार पर मेरिट लिस्ट बनाई जाती है और फिर अनाथालयों में पहुंचने वाले बच्चों की उपलब्धता के आधार पर जरूरतमंद दंपती को बच्चे देने की प्रक्रिया को पूरा करने का काम करती है। इस काम को पूरा करने में कई तरह के सर्टिफिकेट की आवश्यकता पड़ती है और यह प्रक्रिया सालों चलती रहती है। अब इसी को ध्यान में रख कर मोदी सरकार इस कानून में बदलाव करने जा रही है। वहीं हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग कमेटी ने कुछ राज्यों में सभी जिला अदालतों को निर्देशित किया है कि बच्चा गोद लेने के लिए कोर्ट सीधे आवेदन नहीं लेने वाई है। जिसके लिए स्टेट अडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (सारा) में रजिस्ट्रेशन होना आवश्यक है। -4 वर्ष तक के बच्चे को गोद लेने के लिए दंपति की उम्र 45 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए। -4 से 8 साल तक की उम्र का बच्चा 90 से सौ साल की उम्र तक के दंपती गोद ले सकते हैं। -4 या अधिक बच्चों के पेरेंट्स को बच्चा गोद नहीं मिलेगा। -दंपति को आवेदन के साथ इनकम सर्टिफिकेट देना अनिवार्य है। -अगर तलाक हो गया है तो तलाक का प्रमाण पत्र। -पति या पत्‍‌नी में किसी मृत्यु हो गई है तो उसका प्रमाण पत्र। -आवेदक की आर्थिक स्थिति के हिसाब से कमेटी निर्णय लेती है। -लिव-इन रिलेशनशिप वाले दंपतियों को बच्चा गोद नहीं दिया जाता। -बच्चा गोद देने में निसंतान दंपति को प्राथमिकता दी जाती है। -विवाह नहीं किया है अकेले रहते हैं तो कोई बात नहीं। -कोई संक्रामक रोग या गंभीर रोग नहीं इसका प्रमाण पत्र देना होगा। -आवेदक दंपति का पुलिस सत्यापन एसपी ऑफिस से करवाया जाता है। -आवेदक के घर का दौरा किया जाता है। -आस-पड़ोस के वातावरण और सुविधाओं के साथ घर की व्यवस्थाओं को परखा जाता है। -बच्चे को सुपुर्द करने के बाद 10 साल तक घर का दौरा कर फॉलोअप रिपोर्ट तैयार की जाती है। CM हो तो ऐसा ! हवाई सर्वे नहीं, खुद पानी में उतरकर बाढ़ पीड़ितों के पास पहुंचे सीएम सरमा ममता बनर्जी ने किया अग्निवीरो का अपमान बोली "अग्निवीर भाजपा द्वारा बनाया गया डस्टबिन" सिंगल यूज़ प्लास्टिक बैन, 1 जुलाई से बंद हो जाएगा इन सामानों की बिक्री और इस्तेमाल