बीजिंग: कोरोनो वायरस के मामले दुनिया भर में लगातार बढ़ते जा रहे हैं, वैक्सीन क्रिएशन और इसके उपयोग को लेकर अराजकता बनी हुई है, ताकि दुनिया इस वायरस डट कर सामना कर सके। चीन जिसके तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षणों में चार कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं, जंहा शुक्रवार को उन्होंने कहा कि वह कोविड -19 वैक्सीन समूह की तलाश कर रहे है जिसे COVAX के रूप में जाना जाएगा है। वहीं इस बात का पता चला है कि इस वायरस से निपटने के लिए दुनिया भर में कई देश प्रतियोगिता कर रहे है। देश ने हाल ही में समूह के सह-नेता जीएवीआई के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, यह बात चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पहले, चीन गठबंधन में शामिल होने के लिए सहमत नहीं था, लेकिन कुछ समय बाद यह बात सामने आई कि सितंबर में शामिल होने के लिए चीन भी तैयार है। विदेशी मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक बयान में कहा कि "हम टीके के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए यह ठोस कदम उठा रहे हैं, विशेष रूप से विकासशील देशों को उम्मीद है कि अधिक सक्षम देश भी इस योजना में शामिल होंगे और COVAX का समर्थन करेंगे।" लेकिन इस पर चीन के लिए थोड़ी सी परेशानी खड़ी होने वाली है, क्यूंकि चीन कुछ समय पहले कई देशों के विरुद्ध था। समझौते की सटीक शर्तें क्या हैं और चीन कैसे देश में योगदान देगा, इस संबंध में कोई नई खबर सामने नहीं आई है। चीन के प्रेजिडेंट शी जिनपिंग ने पहले कहा था कि चीन वैक्सीन बनाएगा जो दुनियाभर की जनता के लिए अच्छा होगा। गठबंधन की योजना बनाई गई है ताकि अमीर देश संभावित टीकों को खरीदने और गरीब लोगों तक इस वैक्सीन को पहुंचाने में मदद करें। लेकिन हाल ही इस बात का पता चला है कि अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन ने गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया था। जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के लिए होगा पेरिस समझौता स्टारगेजिंग के लिए ये दुनिया की सबसे बेहतर स्थान पकिस्तान में बैन किया गया ये बिस्किट का विज्ञापन, मंत्री बोले- ये इस्लाम के खिलाफ