नई दिल्ली: भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत ऋण सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दिया है, जो पहले 10 लाख रुपये थी। इस निर्णय का उद्देश्य छोटे व्यवसायों को अधिक वित्तीय सहायता प्रदान करना और "अप्राप्त लोगों को वित्तपोषित करना" मिशन को आगे बढ़ाना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल के बजट में यह घोषणा की थी, जो सूक्ष्म और लघु उद्यमों तक ऋण की पहुँच बढ़ाने के प्रयासों का हिस्सा है। सरकार का मानना है कि यह कदम विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में उद्यमशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देगा और रोज़गार सृजन का समर्थन करेगा। सीतारमण ने बजट भाषण में कहा था कि "तरुण श्रेणी" के तहत ऋण लेने वाले उद्यमियों के लिए सीमा बढ़ाई जाएगी, जिन्होंने पहले ऋण लिए हैं और उन्हें सफलतापूर्वक चुकाया है। नए बदलाव के तहत "तरुण प्लस" नामक एक नई श्रेणी बनाई गई है, जिसमें 10 लाख रुपये से अधिक और 20 लाख रुपये तक के ऋण मिलेंगे। इसमें गारंटी कवरेज माइक्रो यूनिट्स के लिए क्रेडिट गारंटी फंड (CGFMU) के तहत दी जाएगी। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की शुरुआत 8 अप्रैल 2015 को की गई थी। इसका उद्देश्य गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु और सूक्ष्म उद्यमियों को बिना किसी संपार्श्विक के माइक्रो-क्रेडिट देना है। यह योजना तीन श्रेणियों में ऋण प्रदान करती है: शिशु (50,000 रुपये तक), किशोर (50,000 रुपये से 5 लाख रुपये तक), और तरुण (10 लाख रुपये तक)। अब नई "तरुण प्लस" श्रेणी के तहत 20 लाख रुपये तक के ऋण उपलब्ध होंगे। इस योजना के तहत ऋण बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC), माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFI), और अन्य वित्तीय मध्यस्थों द्वारा दिए जाते हैं। इससे छोटे उद्यमियों को अपना व्यवसाय बढ़ाने और रोज़गार के नए अवसर सृजित करने में मदद मिलती है। शॉट सर्किट से लगी भयंकर आग, 80 लाख का सामान हुआ स्वाहा अब भारत में बनेंगे iPhone Pro सीरीज के फ़ोन, पहली बार चीन से बाहर निर्माण 'अपने पिता शिवराज सिंह से कुछ सीखो', कार्तिकेय को दिग्विजय सिंह ने दी नसीहत